छपरा सिविल कोर्ट में मानव बम विस्फोट
काले बुर्के में आई थी
मिली जानकारी के मुताबिक अवतारनगर थाना क्षेत्र के झौंवा बसंत निवासी बालेश्वर सिंह की पुत्री खुशबू कुमारी सोमवार की सुबह छपरा कोर्ट गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वह काले बुर्के में सब जज-2 के कोर्ट ऑफिस के सामने पोर्टिको में बैठी थी। उसके पास एक बैग भी था। वहीं पास बैठी महिला श्वेता की नजर खुशबू पर पड़ी तो देखा कि खुशबू गर्दन के पास हाथ से कुछ रगड़ रही है। जब तक वह कुछ समझ पाती खुशबू ने गर्दन को झुका लिया और बैग में हाथ डालकर कुछ हरकत की जिसके बाद जोरदार धमाका हुआ। इस धमाके में खुशबू के दोनों पैर उड़ गए। वहीं श्वेता व उसका बच्चा भी जख्मी हो गए। उसके अलावे चार अन्य लोग भी जख्मी हुए हैं। आसपास रखी बाइक व अन्य वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। पीएमसीएच भेजा खुशबू कोसूचना मिलते ही नगर थाना से सब इंस्पेक्टर शाहिद हुसैन पुलिस बल के साथ कोर्ट परिसर पहुंचे। पुलिस की देख-रेख में खुशबू को एम्बुलेंस से सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसे पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया गया। बेहोशी की हालत में खुशबू ने एएसपी को इतना बताया कि वह झौंवा बसंत की रहने वाली है.
तीसरे हत्याकांड से जुड़ा हो सकता है मामला
इस मामले को महाराजगंज के तत्कालीन सांसद उमाशंकर सिंह के छपरा स्थित आवास पर सन् 2011 में हुए तिहरे हत्याकांड से जोड़ कर देखा जा रहा है। ïपुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आखिर किस मकसद से खुशबू कोर्ट में बम विस्फोट करने पहुंची थी। किसी की हत्या करने या पेशी में आए किसी कैदी को भगाने की फिराक में तो नहीं थी। साथ ही घटना के तार जेल से जुड़े बताए जा रहे हैैं। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सूबे में लगातार आपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं। सासाराम, आरा कोर्ट परिसर में बम विस्फोट और मुजफ्फरपुर में गोलीबारी अपराधियों के बुलंद हौसले को बताते हैं। छपरा में कोर्ट परिसर में हुए विस्फोट ने इस बात की पोल खोल दी है कि आपराधिक घटनाओं को रोकने में सरकार पूरी तरह विफल और लाचार है। कोर्ट परिसर की घटना प्रशासन की भारी चूक का नतीजा है। सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर इससे सवाल खड़ा होता है। दोषियों को राज्य सरकार कड़ी से कड़ी सजा दिलवाए. - राजीव प्रताप रूढ़ी, केंद्रीय राज्य मंत्री व स्थानीय सांसद