ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य के जीवन में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करना बहुत ही उत्तम माना जाता है. सूर्य को आरोग्य के कारक ऊर्जा व प्रकाश के प्रतीक जीवन में उम्मीद के संवाहक संसार की आत्मा के संज्ञा दी गयी है. ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व बताया गया है

पटना ब्‍यूरो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य के जीवन में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करना बहुत ही उत्तम माना जाता है। सूर्य को आरोग्य के कारक, ऊर्जा व प्रकाश के प्रतीक, जीवन में उम्मीद के संवाहक, संसार की आत्मा के संज्ञा दी गयी है। ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व बताया गया है। विशेषकर जब सूर्य की आर्द्रा नक्षत्र में उपस्थिति होने से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। आर्द्रा नक्षत्र उत्तर दिशा के स्वामी तथा इस नक्षत्र का स्वामी राहु होते है। 27 नक्षत्रों में यह छठा नक्षत्र है जो मृगशिरा के बाद एवं पुनर्वसु नक्षत्र के पहले आता है। इस नक्षत्र का अधिपति राहु है। आर्द्रा नक्षत्र से मिथुन राशि का निर्माण होता है। इसलिए इस पर मिथुन के स्वामी बुध का प्रभाव भी देखा जाता है।

खीर, आम व दाल युक्त पुरी खाने की परंपरा
ज्योतिष शास्त्र के विद्वान आचार्य राकेश झा ने मिथिला के विवि पंचांग के हवाले से बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा में शनिवार 22 जून की सुबह 08.56 बजे सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। वही बनारसी पंचांग के मुताबिक सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में गोचर प्रात: 07.44 बजे होगा। आर्द्रा नक्षत्र के शुरू होने के साथ ही सनातन धर्मावलंबी के घरों में विशेष रूप से खीर, दाल वाली पुरी बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर ग्रहण करेंगे। आरोग्यता पाने के लिए भी विशेष रूप से आम भी खाया जाता है। आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा शनिवार की सुबह 12.56 बजे तक यह नक्षत्र रहेगा। यह नक्षत्र जितने दिन रहता है। इसमें बरसात की अधिक संभावना रहती है। इससे खेती पर अच्छा असर पड़ता है। इसी नक्षत्र से ही मानसूनी वृष्टि की शुरुआत होती है।

खीर के सेवन से मिलेगी आरोग्यता
ज्योतिषी झा ने पौराणिक कथाओं के हवाले से बताया कि प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर के आर्द्रा नक्षत्र में रहने पर महिलाएं खासकर अपने संतान की आरोग्यता के लिए स्वयं खीर बनाकर उन्हें खिलाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस नक्षत्र में हुई बारिश में स्नान करने से चर्मरोग, सनबर्न, खुजली जैसी बीमारियों से राहत मिलती है।

27 नक्षत्रों में जीवनदायी है आर्द्रा
समस्त 27 नक्षत्रों में आद्र्रा को जीवनदायी नक्षत्र कहा गया है। इससे धरती को नमी प्राप्त होती है। यह नक्षत्र आकाशमंडल में मणि के समान दिखाई देता है। वामन पुराण के अनुसार नक्षत्र पुरुष भगवान नारायण के केशों में आर्द्रा नक्षत्र का निवास है। महाभारत के शांतिपर्व के अनुसार जगत को तपाने वाले सूर्य, अग्नि व चंद्रमा की जो किरणें प्रकाशित होती हैं, सब जगतनियंता के केश हैं। यही कारण है कि आर्द्रा नक्षत्र को जीवनदायी कहा जाता है। कृषि कार्य की शुरुआत इसी नक्षत्र में होने के कारण यह नक्षत्र सर्वाधिक लोकप्रिय है।

Posted By: Inextlive