अजय देवगन की फिल्म भुज का ट्रेलर आया था। उसी वक्त अनुमान हो चुका था फिल्म में जिस तरह की डायलोगबाजी थी उससे ऐसा लग रहा था कि मानो स्कूल के दिनों में हमें आजादी पर भाषण लिखने को कहा गया हो। अच्छे तकनीकी पक्ष होने के बावजूद फिल्म अच्छी नहीं है। पढ़ें पूरा रिव्यू

फिल्म रिव्यू: भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया
लेखक: रितेश शाह, अभिषेक दुधैया, रमन कुमार, पूजा भावोरिया
कलाकार: अजय देवगन, संजय दत्त, शरद केलकर, सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही, एमी विर्क आदि।
निर्देशक: अभिषेक दुधैया
ओटीटी चैनल: डिज्नी प्लस हॉट स्टार
रेटिंग: *

क्या है कहानी
फिल्म की कहानी 1971 में भुज में पाकिस्तान द्वारा किए गए हमले और भारत के जांबाज सिपाहियों द्वारा दिखाई गई हिम्मत की कहानी है। भारत के इतिहास में यह एक बड़ी घटना थी क्योंकि इस घटना में केवल सैनिकों ने नहीं, बल्कि भुज की 300 महिलाओं की भूमिका रही, जिन्होंने सैनिकों की पाकिस्तानी सेना द्वारा बमबारी से नष्ट हुए IAF बेस का पुनर्निर्माण किया था। इस फिल्म की कहानी भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक ( अजय देवगन) को केंद्र में रखते हुए गढ़ी गई है। फिल्म कागज पर जितनी शानदार नजर आई होगी, फिल्म के रूप में यह बिल्कुल सही आकार नहीं ले पाती है।

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क्या है अच्छा
फिल्म का तकनीकी पक्ष स्ट्रांग है।

क्या है बुरा
फिल्म की पटकथा बेहद कमजोर है। यह कभी आपको एक भाषण प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए लिखे गए लेख की याद दिलाती है तो कभी एक वीडियो गेम की तरह। जबरदस्ती का देश प्रेम इस कदर दिखाया गया है कि ये बात बोर करने लगती है। कलाकारों की ओवरएक्टिंग फिल्म को और बोरिंग बनाती है। कुछ वास्तविक घटनाओं के साथ छेड़छाड़ भी है।

अदाकारी
अजय देवगन का अभिनय तानाजी में उनके किरदार को याद दिला रहा है। सोनाक्षी सिन्हा का फिल्म में खास योगदान नहीं है। नोरा ने फिर भी ठीक ठाक काम किया है।

वर्डिक्ट
अजय देवगन के दर्शकों को पूरी तरह निराश करेगी यह फिल्म।

Review by: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari