जब पीएम पद के उम्मीदवार की बात हुई तो आम पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को भी नरेंद्र मोदी का नाम लेना पड़ा.


मायावती की जगह मोदीलोक सभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों को कारोबारी समुदाय की अहमियत का अंदाजा होने लगा है. यही वजह रही कि आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए मायावती की जगह नरेंद्र मोदी का नाम लेना पड़ा. मुंबई में फाइनेंशियल मार्केट के दिग्गजों के साथ हुई बैठक में उन्होंने इस बात को स्वीकारा. एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल ऐसा तभी करेंगे जब उनके सिर पर कोई बंदूक रख देगा.मजबूरी में लूंगा मोदी का नाम


यह बात उन्होंने तब कही जब गुजरात अंबुजा के पूर्व प्रबंध निदेशक और निवेशी सलाहकार कंपनी आईकैन एडवाइज के सीईओ अनिल सिंघवी ने उनसे मोदी पर सवाल पूछा. निवेशकों के साथ हुई अपनी पहली बैठक के दौरान केजरीवाल ने कहा कि 2014 के चुनाव से केंद्र में कोई निर्णायक जनादेश नहीं आने वाला. इस पर सिंघवी ने उनसे पूछा कि वह मोदी और मायावती में से किसे चुनेंगे. सिंघवी ने ईटी को बताया कि पहले तो केजरीवाल ने किसी को भी नहीं चुना. लेकिन जब उनसे कहा गया कि देश को प्रधानमंत्री की जरूरत तो है ही, तब उन्होंने कहा कि अगर मजबूरी में चुनना पड़ेगा तो वो मोदी का नाम लेंगे. हालांकि, केजरीवाल ने अपनी पसंद का कोई औचित्य नहीं बताया. केजरीवाल के टिप्पणी से सिंघवी काफी प्रभावित हुए क्योंकि वह सोचते हैं कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री जिन्होंने कारोबारी समुदाय के बारे में ज्यादा नहीं सोचा है वह ईमानदार तो हैं. स्टॉक ब्रोकर रामदेव अग्रवाल भी उस बैठक में मौजूद थे, उन्होंने भी केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की तारीफ की.अपनी ईमेज खराब नहीं कर सकते

एक अन्य अंग्रेजी वेबसाइट में कहा गया है कि केजरीवाल अब बिजनेस समुदाय में अपनी ईमेज खराब नहीं कर सकते. याद रहे कि आप की आर्थिक नीतियों की वजह से शेयर बाजार गंभीर चिंतन में चला गया था जोकि भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. एक बात यह भी कही गई कि केजरीवाल अब बिजनेस समुदाय में मोदी के असर को कम करना चाहते हैं. कई उद्योगपति केजरीवाल की भ्रष्टाचार विरोधी कदमों की सराहना पहले ही कर चुके हैं, तो अब उनकी यह टिप्पणी बिजनेस समुदाय के बीच कारगर साबित हो सकती है. इस टिप्पणी से यह भी साबित हो जाता है कि आप एक राजनीतिक पार्टी है. कोई राजनीतिक पार्टी भारत में बिजनेस समुदाय के सहयोग के बिना आगे नहीं बढ़ सकती. यह सच्चाई आम आदमी पार्टी को भी समझ आ गई है. यही वजह रही कि केजरीवाल ने बैठक में मौजूद निवेशकों से पार्टी के चुनाव अभियान में भागीदारी लेने की इच्छा जताई.Hindi news from National news desk, inextlive

Posted By: Subhesh Sharma