कला की अभिव्यक्ति किसी का मोहताज नहीं होती। वह कहीं भी आकार ले सकती है। बस नाम बदल जाते हैं। दरो दीवार पर पोत दी तो उसे भित्ती चित्र बोल दिया फर्श बनाई तो रंगोली हो गई कैनवास पर ब्रश कर दिया तो पेंटिंग कहलाने लगी शरीर पर गोद दिया तो यह आर्ट टैटू के रूप में ट्रेंड कर गया। और टैटू जब बिलो द बेल्ट आकार लेता है तो और कलाओं की तरह सिर्फ ब्यूटीफुल होता है बोल्ड-वोल्ड नहीं...
आ गए न दिन में तारे नजर!फूल है गुलाब का। आपने क्या सोचा!और ये वाला साड़ी का किनारा, बचपन में बनाया तो होगा ड्राइंग बुक में। झूठ मत बोलना सबने बनाया है।गुलाबो... जरा गंध फैला तू...।एकदम क्लासिकल लुक है इस टैटू का। मेसोपोटामिया वाला आर्ट।और ये वाला बिलो द बेल्ट है बोले तो बोल्ड नहीं ब्यूटीफुल। समझे...Image source : www.buzzintersection.comInteresting Newsinextlive fromInteresting News Desk
Posted By: Satyendra Kumar Singh