सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर दो हफ्ते में फैसला लेने का आग्रह किया। बलवंत सिंह राजोआना 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाए हुए हैं।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने का आग्रह किया। बलवंत सिंह राजोआना 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाए हुए हैं। बलवंत सिंह राजोआना को करीब तीन दशक पहले हुई हाई-प्रोफाइल राजनीतिक हत्या में उनकी भूमिका के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। ऐसे में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप उनकी क्षमादान याचिका के लंबे समय से लंबित समाधान में तेजी लाने का प्रयास है।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया। बेंच ने कहा, आज मामले को विशेष रूप से रखे जाने के बावजूद भारत संघ की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। बेंच केवल इसी मामले के लिए बैठी थी। बेंच ने कहा, पिछली तारीख को मामले को स्थगित कर दिया गया था ताकि केंद्र सरकार राष्ट्रपति कार्यालय से निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक फैसला किया जाएगा। यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मौत की सजा का सामना कर रहा है, हम भारत के राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश देते हैं कि वह मामले को राष्ट्रपति के समक्ष रखें और आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने का अनुरोध करें।

5 दिसंबर को अगली सुनवाई
अब मामले की सुनवाई 5 दिसंबर को होगी। 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन से जवाब मांगा था। पिछले साल 3 मई को शीर्ष अदालत ने उसकी मौत की सजा को कम करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सक्षम प्राधिकारी उसकी दया याचिका पर विचार कर सकता है। 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री और 16 अन्य लोग मारे गए थे। एक विशेष अदालत ने जुलाई 2007 में राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी। राजोआना ने कहा है कि मार्च 2012 में उनकी ओर से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत दया याचिका दायर की थी।

Posted By: Shweta Mishra