भारत सरकार के बैन के बावजूद बीबीसी ब्रिटेन ने थर्सडे अर्ली मार्निंग निर्भया पर बनी डॉक्यूमेंट्री को टेलीकास्ट कर दिया.


भले ही इंडिया की सड़कों से संसद तक हुए बवाल के बाद गृहमंत्री के कहने पर निर्भया पर बनी डॉक्यूमेंट्री को टेलिकास्ट करने पर बैन लगाने की घोषणा की गयी हो लेकिन बीबीसी को इसकी परवाह नहीं है. यही वजह है कि इंडियन टाइम के हिसाब से सुबह साढ़े तीन बजे इस डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटेन में बीबीसी फोर टेलिकास्ट कर दिया गया है. पहले ये डॉक्यूमेंट्री 8 मार्च को दिखाई जानी थी, लेकिन समय में बदलाव किया गया. ये देखना बाकी है कि अब इंडियन गवरन्मेंट इस मामले में आगे क्या करती है. क्या कहना है निर्भया के पेरेंटस का


इस बीच निर्भया के फादर ने कहा कि उन्हें डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने से कोई प्राब्लम नहीं है, क्योंकि यह सच्चाई है. निर्भया के फादर का मानना है कि उन्हें पर्सनली डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने पर आब्जेक्शन नहीं है. यह सोसायटी का आईना है. लेकिन वो ये भी मानते हैं अगर सरकार ने इस पर बैन लगाया है तो उसका कोई तो रीजन जरूर होगा. वहीं निर्भया की मदर ने आंसुओं के साथ कहा कि उन्हें  तो लगता है कि लड़ते-लड़ते वे मर जाएंगे, लेकिन निर्भया के अपराधियों को सजा नहीं मिल सकेगी हां उनका महिमामंडन जरूर होता रहेगा.  बीबीसी दफ्तर के बाहर प्रर्दशन

डॉक्यूमेंट्री पर रोक के लिए दिल्ली में बीबीसी दफ्तर के बाहर प्रोटेस्ट भी किया गया, वहीं गैंगरेप के कल्पिट मुकेश को फांसी की मांग को लेकर कोलकाता में लोगों ने प्रदर्शन किया. इस डॉक्यूमेंट्री का टेलिकास्ट कई देशों में हुआ. हालांकि, इसमें इंडिया शामिल नहीं किया जाएगा. इस डॉक्यूमेंट्री का नाम 'इंडियाज डॉटर' है. इससे पहले भारत सरकार ने बीबीसी से डॉक्यूमेंट्री को नहीं दिखाने को कहा था, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस बाबत निर्देश भी जारी किए थे. बुधवार को राज्यसभा में हंगामे के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि वह किसी भी हाल में डॉक्यूमेंट्री को टेलिकास्ट नहीं होने देंगे. एनडीए गवरन्मेंट का कहना है कि इस डाक्युमेंट्री को बनाने की परमीशन यूपीए सरकार के टाइम में दी गयी थी.

16 दिसंबर 2012  की रात एक 23 साल की स्टूडेंट के साथ साउथ दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने गैंगरेप किया था. लड़की अपने एक दोस्त के साथ थी. रेप और उसके दोस्त के साथ मारपीट के बाद दोनों को सड़क पर बहुत बुरी हालत में फेंक दिया गया था. बाद में इस स्टूमडेंट की 13  दिन बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. इस केस के एक कल्पिट मुकेश ने इस केस पर बनी डॉक्युमेंट्री में इंटरव्यू के दौरान रेप के लिए लड़की को ही दोषी बताया है. मुकेश ने कहा है कि लड़की को रेप का विरोध नहीं करना चाहिए था. अगर वह ऐसा नहीं करती तो उसकी जान बच सकती थी. मामले में मुकेश और उसके साथ तीन कल्पिट्स करे फांसी की सजा सुनाई गई है.

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Posted By: Molly Seth