भारतीय सेना के पैदल सैनिक जब युद्ध के मैदान में होते हैं तो उनकी मौजूदगी ही दुश्मनों का दिल दहलाने के लिए काफी होता है। सैनिक अपने रेजीमेंट के युद्धघोष के साथ पूरे दम से हमला बोलते हैं तो दुश्मनों के होश उड़ जाते हैं। भारतीय सेना ने 1947 1965 1971 1984 और 1999 में पाकिस्तान के दांत खट्टे किए हैं। 1962 की बात छोड़ दें तो बहुत कम लोगों को पता होगा कि 1967 में हिंदुस्तानी फौज ने चीनी सेना पर जबरदस्त हमला बोलते हुए उसे सिक्किम से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। इस युद्ध में 88 भारतीय सैनिक शहीद और 163 सैनिक घायल हुए वहीं चीन के 300 सैनिक मारे गए थे और 450 से ज्यादा घायल हुए थे। इसके अलावा वर्ल्ड वार में भी दुनिया भारतीय सैनिकों का लोहा मान चुकी है।
बिहार रेजीमेंट : इस रेजीमेंट की स्थापना 1941 में हुई थी। इस रेजीमेंट की कुछ बटालियनों का युद्धघोष 'जय बजरंग बली' भी है।द गढ़वाल राइफल्स : पैदल सेना की इस रेजीमेंट का गठन 1887 में की गई थी। इस रेजीमेंट के सैनिक दोनों विश्व युद्ध में हिस्सा ले चुके हैं।जम्मू एंड कशमीर लाइट इंफेंट्री : इस रेजीमेंट को 1947 में शुरू किया गया था। इसकी दो बटालियनें लद्दाख स्काउट के नाम से जानी जाती हैं।कुमाऊं रेजीमेंट : यह रेजीमेंट 1813 में ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार में गठित हुई थी जो 1857 के बाद में ब्रिटिश सेना और 1947 के बाद भारतीय सेना का अंक बन गई।
नगा रेजीमेंट : यह रेजीमेंट भारतीय सेना के तहत 1970 में खड़ी की गई थी।पंजाब रेजीमेंट : यह रेजीमेंट 1761 में ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत गठित हुई थी। भारतीय सेना में इस रेजीमेंट का बहुत पुराना इतिहास रहा है।
राजपूत रेजीमेंट : इस रेजीमेंट का गठन भी ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1778 में किया था। इसमें सिर्फ राजपूत युवाओं की भर्ती होती है।
सिख लाइट इंफेंट्री : 1944 में ब्रिटिश इंडिया में इसकी स्थापना की गई थी।Interesting News
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Posted By: Satyendra Kumar Singh