Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा है सबसे बड़ा महत्व, खुद जानें और सबको बताएं
पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Basant Panchami 2024 & Saraswati Jayanti puja : बसंत पंचमी का दिन बसंत ऋतु का एक विशेष त्योहार है। इस प्रकार बसंत पंचमी का त्योहार मानव मात्र के हृदय के आनंद और खुशी का प्रतीक कहा जाता है। इस साल बसंत पंचमी का त्योहार बुधवार 14 फरवरी को मनाया जा रहा है। बसंत ऋतु में जहां पृथ्वी का सौंदर्य निखर उठता है,वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है। होली का आरम्भ भी बसंत पंचमी से ही होता है क्योंकि इस दिन प्रथम बार गुलाल उड़ाई जाती है। इसी दिन फाग उड़ाना आरम्भ करते हैं,जिसका अंत फाल्गुन की पूर्णिमा को होता है। इसी दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बसंत पंचमी को 'सरस्वती जयंती' के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान श्री कृष्ण इस त्योहार के अधिदेवता कृष्ण जी हैं
भगवान श्रीकृष्ण इस त्योहार के अधिदेवता हैं। इसलिए ब्रज प्रदेश में राधा तथा कृष्ण का आनंद-विनोद बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन किसान अपने नए अन्न में घी,गुड़ मिलाकर अग्नि तथा पितरों को तर्पण करते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के कथनानुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन देवी सरस्वती पर प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था। इसलिए विद्यार्थियों तथा शिक्षा प्रेमियों के लिए यह मां सरस्वती के पूजन का महान पर्व है। चरक सहिंता के अनुसार इस ऋतु में स्त्री-रमण तथा वन विहार करना चाहिए।कामदेव बसंत के अनन्य सहचर हैं। अतएव कामदेव व रति की भी इस तिथि को पूजा करने का विधान है।
जलकणों के वृक्षों पर पड़ने से देवी हुईं प्रकट
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार जब प्रजापति ब्रह्मा ने भगवान विष्णु की आज्ञा से सृष्टि की रचना की तो वे उसे देखने के लिए निकले।उन्होंने सर्वत्र उदासी देखी।सारा वातावरण उन्हें ऐसा दिखा जैसे किसी के पास वाणी न हो।सुनसान,सन्नाटा,उदासी भरा वातावरण देखकर उन्होंने इसे दूर करने के लिए अपने कमंडल से चारों तरफ जल छिड़का। जलकणों के वृक्षों पर पड़ने से वृक्षों से एक देवी प्रकट हुई,जिसके चार हाथ थे,उनमें से दो हांथों में वह वीणा पकड़े हुई थीं तथा उनके शेष दोनों हाथों में एक में पुस्तक और दूसरे में माला थी। संसार की मूकता और उदासी भरे माहौल को दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने इस देवी से वीणा बजाने को कहा।वीणा के मधुर स्वर नाद से जीवों को वाणी(वाक शक्ति) मिल गई। सप्तविध स्वरों का ज्ञान प्रदान करने के कारण ही इनका नाम सरस्वती पड़ा। वीणा वादिनी सरस्वती संगीतमय आह्लादित जीवन जीने की प्रेरणा है। वह विद्या,बुद्धि और संगीत की देवी मानी गई है, उनकी पूजा करने से हर तरह का ज्ञान प्रगट होने लगता है।
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