हेल्दी रहने के लिए हेल्दी लाइफ स्टाइल भी जरूरी है. इसमें बदलाव होने का असर भले ही तत्काल महसूस न हो पर धीरे-धीरे यह असर बड़ी मुसीबत बन जाता है. लोगों में लगातार बढ़ती जा रही नी प्रॉब्लम के पीछे भी यही असर एक बड़ा कारण है. यह प्रॉब्लम मेल की अपेक्षा फीमेल्स में ज्यादा सामने आ रही है. डॉक्टर्स के अनुसार अगर एक कॉमन रेशियो निकाला जाए तो 10 में से 8 फीमेल नी प्रॉब्लम से जूझ रही हैं.

बरेली (ब्यूरो)। हेल्दी रहने के लिए हेल्दी लाइफ स्टाइल भी जरूरी है. इसमें बदलाव होने का असर भले ही तत्काल महसूस न हो, पर धीरे-धीरे यह असर बड़ी मुसीबत बन जाता है. लोगों में लगातार बढ़ती जा रही नी प्रॉब्लम के पीछे भी यही असर एक बड़ा कारण है. यह प्रॉब्लम मेल की अपेक्षा फीमेल्स में ज्यादा सामने आ रही है. डॉक्टर्स के अनुसार अगर एक कॉमन रेशियो निकाला जाए तो 10 में से 8 फीमेल नी प्रॉब्लम से जूझ रही हैं. मेल में यह रेशियो10 में से दो का है. फीमेल में यह प्रॉब्लम में उनकी डेली एक्टिविटी की वजह से ज्यादा होती है.

फीमेल में ज्यादा क्यूं
फीमेल में कई वजहों से नी प्रॉब्लम ज्यादा होती है. इन वजहों में सबसे कॉमन वजह है उनका स्ट्रक्चर. डॉक्टर अतुल का कहना है कि फीमेल में ज्वॉइंट्स मूवमेंट ज्यादा होता है. वहीं उनके लिगामेंट्स भी अधिक लचीले होते हैैं. इसके अलावा फीमेल में मोनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोंस का लेवल कम हो जाता है. एस्ट्रोजन हार्मोन घुटनों को हेल्दी रखने में मददगार होता है. पीरियड्स में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम होने पर इसका असर बॉडी पर दिखने लगता है. इस दौरान घुटनों पर दर्द बढ़ जाता है. इसके बाद भी वह अपने रुटीन वक्र्स आम दिनों की तरह ही करती रहती हैं.

वेट भी है बड़ी वजह
हमारी बॉडी में वेट गेन होने का ज्यादा असर लोवर बॉडी में पड़ता है. इसका प्रभाव घुटना पर ज्यादा पड़ता है. वेट गेन की समस्या भी मेल की अपेक्षा फीमेल में अधिक होती है. इसके अलावा उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी कम होती है. हमारी बॉडी के टोटल वेट का पांच गुना वेट घुटनों पर पड़ता है. इसको ऐसे समझा जा सकता है कि अगर किसी का वजन 10 किलो है, तो उसके घुटने पर 10 गुणा 5 यानी 50 किलो भार पड़ेगा.

एक्सरसाइज है जरूरी
मेल में नी प्रॉब्लम कम होने की वजह उनका फिजिकल एक्टिविटी में ज्यादा इनवॉल्व रहना है. फीमेल घर के काम को ही एक्सरसाइज समझ लेती हैं और हेल्थ पर फोकस नहीं करती. फीमेल घुटने के दर्द को तब तक इग्नोर भी करती हैं, जब तक की उनके लिए यह असहनीय नहीं हो जाता. घुटने में अगर लगातार दर्द हो, सूजन हो या फिर पैर मोडऩे में दर्द हो तो, इस समस्या को बिलकुल इग्नोर नहीं करना चाहिए.

फीमेल में कैल्शियम की कमी
फीमेल में ऐज के साथ कैल्शियम की काफी कमी होने लगती है. इसकी कमी होने से हड्डियों और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जो घुटनों और अन्य जोड़ों पर काफी असर डालती है. फीमेल अपनी डाइट का भी ध्यान नहीं रखती हैं. विटामिन-डी की कमी के चलते भी यह समस्या बढ़ जाती है. इससे बचने के लिए धूप भी काफी हद तक कारगर है.

नी प्रॉब्लम में बरतें सावधानी
सीढिय़ों का इस्तेमाल कम करें
नी पर असर डालने वाली एक्सरसाइज न करें
नी प्रॉब्लम होने पर वेस्टर्न टॉयलेट का यूज करें
पैर फोल्ड करके न बैठे
बिना डॉक्टर के प्रेसक्राइब के कोई मेडिसन न लें

मेल की अपेक्षा फीमेल में नी प्रॉब्लम ज्यादा होती है. उनमें ओबेसिटी, आउटडोर एक्टिीविटी कम होती है. इसके अलावा वह डाइट का भी ध्यान नहीं रखती हैं. फीमेल में मोनोपॉज की वजह और कैल्शियम की कमी की वजह से भी यह समस्या बढ़ जाती है. नी प्रॉब्लम होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
मनोज कुमार हिरानी, एमबीबीएस, एमएस ऑर्थोपेडिक

Posted By: Bareilly Desk