Movie Review : खड़े-चम्मच की चाय जैसी बरेली की बर्फी
बिट्टी की स्वयंवरगाथा :
बिट्टी (कीर्ति) बरेली में रहने वाली एक मिस है जो बरेली में मिसफिट है, उसके पिता लिबरल हैं और अम्मा उसको गृहकार्यदक्ष घरेलू लड़की की तरह प्रमोट करके उसकी हाथ पीले कर देना, पर बेटी कुछ ज्यादा ही तीरंदाज़ है, जब उसे पता चलता है की प्रीतम विद्रोही नाम के एक लेखक ने बिलकुल उसकी जैसी लड़की पर एक किताब लिखी है तो वो प्रीतम को ढूँढने निकल पड़ती है। असल प्रीतम और किताब पे फोटो में छपे प्रीतम, दोनों को कथित रूप से बिट्टी से प्यार हो जाता है और फिल्म बर्फी से चाशनी में डूबा हुआ ज़रुरत से ज्यादा मीठा मावा समोसा बन जाती है।
कथा, पटकथा और निर्देशन
फ़िल्म की कहानी भले ही तिलिस्मी न हो पर उसकी भरपाई कर देते हैं इसके ज़बरदस्त संवाद, आप कई संवादों पर सीटियां और तालियां मरना चाहेंगे। फ़िल्म का ट्रीटमेंट भी काफी यूनीक है, पश्चिम उत्तरप्रदेश का फ्लेवर कपड़ों और शहर के अलावा हर सीन, हर शॉट में आपको दिख ही जाएगा। पर फिर भी मीलों दूर से आपको ये पता चल ही जाता है कि फ़िल्म अंततः आपको कहां लेकर जाएगी, यही इस फ़िल्म का ड्राबैक है।कहानी बड़ी प्रेडिक्टबल है, पर फ़िल्म फिर भी बुरी नहीं है। फ़िल्म के टेक्निकल डिपार्टमेंट भी बढ़िया काम करते हैं। आर्ट और कॉस्ट्यूम को स्पेशल मेंशन। अब बात करते हैं निर्देशन की, ये फ़िल्म अशिविनि अय्यर तिवारी की ये दूसरी फ़िल्म है, पर पहली फ़िल्म की तरह अगर इमोशनल पॉइंट्स इस फ़िल्म में भी होते तो फ़िल्म कहीं बेहतर फ़िल्म हो सकती थी, अगर पिछली फिल्म से तुलना न की जाये तो फ़िल्म का निर्देशन अच्छा है, पर जिसने पहले ही बर्फी खाई हो वो नानखताई से कैसे खुश हो सकता है।निल बटे सन्नाटा से ये फ़िल्म थोड़ी हल्की रह जाती है, उस फिल्म की बात ही कुछ और है।
अदाकारी
ये इस फ़िल्म का हाई पॉइंट है। सबसे ज़्यादा बढ़िया काम किया है, पंकज त्रिपाठी और सीमा पाहवा ने, मज़ा आ जाएगा आपको इन दोनों का काम देख कर, आपको खुद के माँ बाप याद आ जाएंगे, दोनों की कॉमिक टाइमिंग ज़बरदस्त है। फिर नंबर आता है, दोनों दूल्हा प्रत्याशीगण का, राजकुमार राव और आयुष्मान का काम भी लल्लन टॉप है। कीर्ति सनोंन कि जिंदगी का ये सबसे अच्छा पेरफॉर्मन्स है।
संगीत
फ़िल्म के हिसाब से ठीक है।
चिराग दुबे को भले ही बर्फी मीठी न लगे पर कुछ ज्यादा ही मीठी है ये बरेली की बर्फी ! आपको हर किरदार से इतना प्यार हो जाएगा कि किसकी साइड लें तय करना मुश्किल लगेगा, फिर भी अगर हँसी खुशी के साथ एक ऐसी फिल्म देखना चाहें जो आप अपने दोस्तों और माँ बाप , किसी के भी साथ मज़े से देखना चाहें तो ये फ़िल्म इस हफ्ते अच्छा ऑप्शन है।
बॉक्स आफिस प्रेडिक्शन : 35-40 करोड़
Review by : Yohaann Bhaargava