अलगाववादी नेता परेश बरुआ को मौत की सजा
बरुआ समेत कुल चौदह लोगों को मौत की सज़ा दी गई है. अदालत ने अन्य 38 अभियुक्तों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.अलगाववादी नेता परेश बरुआ और उल्फा पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय रहे हैं.चटगाँव मेट्रोपोलिट्न सत्र एवं विशेष ट्राइब्यूनल के न्यायाधीश मुजीबुर्रहमान ने बरुआ को हथियारों की अवैध तस्करी और सरकार को अस्थिर करने के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई है.चटगाँव में एक अप्रैल 2004 को हथियार पकड़े जाने के एक अन्य मामले में बरुआ को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है. जज ने कहा कि दोनों सज़ाएं एक साथ चलेंगी.उल्फ़ा के उदारवादी गुट के नेता राजू बरुआ ने कहा है कि ये परेश बरुआ का निजी मामला है और उल्फा संगठन के स्तर पर इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करेगी.हाई कोर्ट में अपील
एक अप्रैल 2004 की रात को पुलिस ने चटगाँव के एक बंदरगाह पर एक सरकारी जेट्टी से दस हथियारों और गोला-बारूद से भरे गए दस ट्रक बरामद किए गए थे.इसी मामले में अदालत ने बांग्लादेश के दो चर्चित नेताओं समेत कुल चौदह लोगों को दोषी क़रार देते हुए मौत की सज़ा सुनाई है. एक अन्य मामले में इन अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सज़ा भी सुनाई गई है.
साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 19 (एफ़) के तहत अभियुक्तों को सात साल के सश्रम कारावास की सज़ा भी दी गई है.