Bala Movie Review: दर्शकों को बाल-बाल बचाया आयुष्मान ने
कहानी:
कानपुर का बालमुकुंद जिसको प्यार से लोग बाला कहते हैं उसके झड़ते हुए बाल उसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम है, पर क्या उसकी इस समस्या का कोई इलाज है? जानने के लिए देखिए बाला।
लुक्स बहुत ही इम्पोर्टेन्ट है ऐसा हमें बचपन से ही सिखाया जाता है और अच्छे लुक्स के लिये बाल होना ज़रूरी है ऐसा भी हमको बताया जाता है। अब ऐसे में अगर बाल ही न हों तो इंसान क्या क्या नहीं करता है वो इस फ़िल्म का फर्स्ट हाफ है और इस सोच से लड़ना कि हर किसी मे और भी बहुत सी खूबियां होती हैं लुक्स ही सबकुछ नहीं होता, ये फ़िल्म का सेकंड हाफ है। गंजापन महज़ एक मुद्दा है न कि कमी इस फ़िल्म की मेन थीम है। मुझे सेल्फ ऑब्सेस्ड खूबसूरत लोगों का एंगल समझने में खासी दिक्कत आती थी जो इस फ़िल्म ने मुझे समझाने की कोशिश की और शायद परी मिश्रा के किरदार ने मुझे वो पहलू समझाया। फ़िल्म की राइटिंग और फ़िल्म का डायरेक्शन काफी अच्छा है और यही कारण है कि किरदार रियल लगते हैं और रियल बिहेव करते हैं। डाइलॉग चौकस है और फ़िल्म का सबसे बड़ा हाई पॉइंट हैं।
अदाकारी:
कास्टिंग बहुत ही लल्लन टॉप है, खासकर बाला के छोटे भाई का रोल प्ले करने वाला बालक बहुत ही सही है, आयुष्मान और भूमि हमेशा की तरह बढ़िया हैं, पर इस बार हम फेयर एंड लवली बहन से फुल इम्प्रेस हुए हैं, ये उनकी अब तक कि बेस्ट परफॉरमेंस हैं।
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