जब टिकट चेकर ने कहा पहली बार सफ़र कर रहे हो क्या?
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, 74 स्टेशनों और 80 ट्रेनों की जाँच में पाया गया कि स्टेशन और ट्रेन पर खाने पीने में सफ़ाई पर ध्यान नहीं दिया जाता था। कॉफ़ी, चाय और सूप जैसे पेय के लिए गंदा पानी सीधे नल से
लिया जाता था। ऐसे में पाठकों ने बताए ये रियल एक्सपीरिएंसेस -सफर में होने वाली दिक्कतों के बारे में काफी लोगों ने अपनी राय रखी। हम यहां कुछ चुनिंदा कमेंट्स आपको पढ़वा रहे हैं।सृष्टि सिंह लिखती हैं, ''ट्रेन की यात्रा का मज़ा तब आता है, जब त्योहार के वक्त आपको जनरल बोगी में चढ़ना पड़े। मैंने ऐसी कई यात्राएं की। लेकिन एक बार मैं बेंगलुरु से मुगलसराय के बीच एसी कोच में सफ़र कर रही थी।
ऊपर वाली बर्थ से एक बच्चे ने मेरे ऊपर उल्टी कर दी। पूरे कोच में बदबू ही बदबू। दिक्क़त ये कि एसी कोच की खिड़की भी नहीं खोल सकते।''
मेहादी राजा कहते हैं, ''आपने हमारी दुखती रग पर हाथ रख दिया। रेल की यात्रा नरक की यात्रा की तरह है लेकिन मरता क्या नहीं करता। एसी क्लास के कोच के बाथरूम का भी बुरा हाल रहता है।''
रेल यात्रा से ऐसे झेलने वाले अनुभव काफी लोगों के रहे। हालांकि कुछ लोग ऐसे ही रहे, जिन्होंने रेल यात्रा के अनुभवों को मधुर बताया।भज्जी बिश्नोई लिखते हैं, ''भारतीय रेल के सफर में मज़ा आता है। क्योंकि सस्ती सेवा में अनमोल अनुभव सीख लेते हैं और वो भी कुछ ही घंटों में। एक जगह बहुत सारी कल्चर देखने को मिलता है।''भूगोल कै मैप्स इतने मजेदार तो कभी न थे, दिल खुश कर देंगे ये 8 नक्शे
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