भले ही आयुष्मान खुराना ऐसी मूवीज करना चाहते हों जो सोशल और पॉलिटिकल इश्यूज को लेकर बनी सोच को चैलेंज करती हों पर उनका कहना है कि ऑफ-स्क्रीन वह एक 'अपॉलिटिकल' इंसान रहना चाहते हैं...


मुंबई (मिड-डे)। एक के बाद एक छह हिट मूवीज देने के बाद नेशनल अवॉर्ड हासिल करके आयुष्मान खुराना ने फिल्म इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया है। यह एक्टर चैलेंजिंग रोल्स के साथ-साथ बॉक्स ऑफिस पर भी अपनी नजरें रखता है। उनका कहना है, 'आर्टिकल 15 से इनइक्वालिटी पर चर्चा की शुरुआत करना हो, चाहेे ड्रीम गर्ल से जेंडर फ्लूइडिटी को हाईलाइट करना हो या बाला के जरिए मर्दों में गंजेपन की प्रॉब्लम पर बात करनी हो, मैंने ऐसी मूवीज करने की कोशिश की है जो सोसाइटी में डिस्कशन की शुरुआत करें। मेरे लिए यही असली सिनेमा है।'नहीं बनना है कोई 'क्रांतिकारी'


बॉलीवुड ब्रिगेड के कई बड़े नाम बीते एक साल में कई बार पीएम नरेंद्र मोदी के साथ नजर आए हैं। कई बार ऐसी बातें भी सुनने को मिलीं कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का पॉलिटिसाइजेशन किया जा रहा है। इसको लेकर जब आयुष्मान से सवाल किया गया तो उन्होंने बचते हुए कहा, 'एक एक्टर अपने काम से मैसेज दे सकता है। मैंने आर्टिकल 15 के जरिए कास्ट डिवाइड के इश्यू को छुआ था। मुझे क्रांतिकारी बनने की जरूरत नहीं है। मुझे अपने व्यूज सोशल मीडिया पर डालने की भी जरूरत नहीं है, वे मेरे काम में नजर आएंगे।'

'गुलाबो-सिताबो' की रिलीज डेट हुई प्रीपोन, अब अप्रैल नहीं आएगी फरवरी मेंछोड़ दिया है 'कड़ा' पहननाइस एक्टर ने आगे बताया, 'मैं अपने रिलीजन और पॉलिटिकल आइडियोलॉजी खुले में नहीं दिखाना चाहता। जब मैंने एक्टर के तौर पर शुरुआत की थी तब मैं कड़ा पहना करता था। अब मैं अरिलिजियस, अपोलिटिकल और क्लीन कैनवास की तरह रहना चाहता हूं। मेरे कैरेक्टर्स को मेरी सोच के वजन के जरिए नहीं देखा जाना चाहिए। मैंने दम लगाके हईशा में एक राइट-विंग और आर्टिकल 15 में सेंटर के लेफ्ट वाला कैरेक्टर प्ले किया था।'mohar.basu@mid-day.comइस दिवाली आयुष्मान खुराना कर रहे नेक काम, कूड़ा बीनने वाली महिलाओं के चेहरे पर लाएंगे मुस्कान

Posted By: Vandana Sharma