कानपुर के रहने वाले आयुष शर्मा ने आज अपने मां पापा का ही नहीं बल्‍िक पूरे शहर का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. हो भी क्‍यों न आखिर एक मैकेनिक के बेटे आयुष ने इतना बड़ा काम जो किया है. उसे इस बार मशहूर मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी एमआईटी की ओर 1.4 करोड़ की स्‍कॉलशिप मिली है. आयुष अपने लक्ष्‍य की ओर काफी मेहनत कर रहे हैं वह अमेरिका में पढा़ई करने जा रहे हैं.


केंद्रीय विद्यालय में टॉप कर चुकेमैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी हर साल पूरे विश्व में हर साल इस एक्जाम को कराती है. ऐसे में कुछ भारतीय बच्चे भी इसका हिस्सा बनते हैं. ऐसे में इस बार एमआईटी में भारत के तीन बच्चे शामिल हुये हैं. जिसमें 17 साल के कानपुर निवासी आयुष शर्मा का नाम भी है. आयुष ने सिर्फ इसमें जगह बनायी बल्िक वइ इसकी ओर से दी जाने वाली 1.4 करोड़ की स्कॉलशिप के विजेता भी बने. अब आयुष एमआईटी के तहत पढ़ाई करेंगे. आयुष पढने में काफी तेज है. उसने कक्षा 12 में भी कानपुर के केंद्रीय विद्यालय में टॉप कर चुके हैं. शर्मा को मिल इस स्कॉलरशिप से उनकी ट्यूशन फीस, रहने, खाने का खर्च होगा. जिसका खर्च करीब 40 लाख रुपये सलाना होगा. आयुष के परिजन बेटे के इतने बड़े कारनामें से काफी खुश हैं.शुरुआत याले ग्लोबल स्कॉलर्स प्रोग्राम


आयुष अपनी इस बड़ी उपलब्िध के बारे में कहते हैं कि भले ही कुछ लोग मेरे वहां जाने को रिस्की मान रहे हो, लेकिन मैं वहां जाऊंगा. यह मेरा जुनून है. मेरे साथ दो और छात्र भारत से चुने गये हैं जो नागपुर और महाराष्ट्र से हैं. सबसे खास बात यह है कि आम तौर पर इस स्कॉलशिप के तहत छात्र सिर्फ 10 से 30 परसेंट ही जीत पाते हैं, लेकिन आयुष ने पूरे 90 परसेंट तक की स्कॉलरशिप जीती है. यह उसकी मेहनत और जुनून की ओर साफ इशारा करता है. आयुष बचपन से ही पढाई में काफी अव्वल रहे हैं. आयुष के विदेश में पढ़ाई की शुरुआत याले ग्लोबल स्कॉलर्स प्रोग्राम से हुई. यहां भी आयुष ने बेहतर प्रदर्शन किया जिससे इसमें भी इसकी ट्यूशन फीस को माफ कर दिया गया था. आयुष का मानना है कि अब एमआईटी के थ्रू पढा़ई करने के बाद उसे साइंस से ग्रेजुएट की डिग्री मिल जायेगी.एमआईटी के बारे में जानकारी नहीं

आयुष्ा का कहना है कि उसने एप्लीकेश में छ निबंध और कुछ मैथ प्रोजेक्ट प्रपोजल मेंशन किया था. उसे रेड पेन आर्गनाइजेशन से भी काफी मदद मिली थी जो कि एमाआईटी के स्टूडेंट के एप्लीकेशन सबमिट करने में काफी हेल्प करती है. इसकी को फाउंडर किम्बर्ली दीक्षित ने काफी मदद की. उन्होंने इसकी वित्तीय स्िथति को नजरंदाज कर एमआईटी की कुल 2000 साटों के लिये जमा होने वाली एप्लीकेशन में उसे भी शामिल किया. शर्मा का कहना है कि आज भी उसके परिवार की हकीकत यह है कि उसके परिवार में अभी भी लोग एमआईटी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं. उन्हें इसका अंदाजा नहीं है कि यह वास्तव में क्या है, लेकिन मेरा परिवार मेरा सपोर्ट हर हालत में कर रहा है. मेरे पैरेंट्स मेरे ड्रीम को पूरा करना चाहते हैं. उसका कहना है कि उसके पिता एक मैकेनिक और मां उसकी अभी कॉस्टेबल के पद से रिटायर्ड हुयीं है. मेरे लिये फाइनेंसियल प्रॉब्लम एक बड़ा ईश्यू है. आयुष का सपना भारत में शिक्षा व्यवस्था को सुधारना है. जिससे कि हमारे मैं अपने देश के बच्चों को वो सब देने की कोशिश करुंगा जो मुझे वहां मिलेगा.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh