क्रिस हैडफ़ील्ड 20 वर्षों से अंतरिक्ष यात्री हैं लेकिन उनके पिछले अंतरिक्ष मिशन ने उन्हें वो शोहरत दी जो इससे पहले उन्हें कभी नहीं मिली थी.


अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) से किए गए उनके ट्वीट ने क़रीब 10 लाख लोगों को आकर्षित किया.और जब उन्होंने अंतरिक्ष की विलक्षणता के बारे में डेवी बोवी के गीत को गिटार के साथ गाया तो यह इंटरनेट पर चर्चा का विषय बन गया.इस गाने के संपादित हिस्से को यू ट्यूब पर जब दो करोड़ लोगों ने देखा तो हैडफ़ील्ड को महसूस हुआ कि कला और विज्ञान अब हमदम बन चुके हैं.हाल ही में वैंकुवर में हुए टेड (टेक्नोलॉजी, एंटरटेंमेंट एंड डिज़ाइन) कांफ्रेंस में हैडफ़ील्ड प्रमुख वक्ताओं में से एक थे.बीबीसी से बातचीत में उन्होंने जानकारी दी कि धरती की तरह ही आईएसएस पर भी ब्राडबैंड कनेक्शन की गति धीमी है.उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष केंद्र में इंटरनेट हासिल करना बेहद जटिल काम है. पहले आपको एक टेलीफ़ोन लाइन लेनी होती है तब जाकर एक अदद वायरलेस नेटवर्क मिल पाता है.अंतरिक्ष में इंटरनेट
उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों को प्रतिदिन केवल कुछ घंटे ही इंटरनेट की सुविधा मिलती है."हमारे पास पहले से बेहतर कनेक्टिविटी है और यह ट्विटर के लिए पर्याप्त है. इसने पूरे आकाश में संचार के लिए पर्याप्त माध्यम उपलब्ध कराया है."वे इसके मार्फत पृथ्वी पर रहे अपने परिजनों की तस्वीरें ज़्यादा साझा करते हैं.


उन्होंने बताया कि यह थोड़ा सुस्त है और ज़्यादा भरोसेमंद भी नहीं है.अंतरिक्ष केंद्र पर इंटनेट की सुविधा का पहला उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को भावनात्मक संबल प्रदान करना है.हालांकि तक़रीबन छह महीने तक के लिए लगातार अपने परिवार से अलग होने वाले यात्रियों के लिए वीडियो क्रांफ्रेंसिंग की भी सुविधा है.लेकिन संचार क्रांति ने कनेक्टिविटी का ऐसा दरवाजा खोला है जो इससे पहले नहीं देखा गया.हैडफ़ील्ड बताते हैं कि अंतरिक्ष में जाने से पहले से वो ट्वीटर का इस्तेमाल करते रहे हैं और नासा ने केंद्र को और अधिक जीवंत बनाने के लिए बहुत कुछ किया है.वे कहते हैं, ''हमारे पास पहले से बेहतर कनेक्टिविटी है और यह ट्विटर के लिए पर्याप्त है. इसने पूरे आकाश में संचार के लिए पर्याप्त माध्यम उपलब्ध कराया है.''अपने तीन अंतरिक्ष मिशन में हैडफ़ील्ड ने पृथ्वी के करीब 2,600 बार चक्कर लगाए हैं.वो बताते हैं कि अंतरिक्ष से पृथ्वी बेहद खूबसूरत दिखाई देती है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh