गणपति बप्पा को समर्पित ग्रंथ श्री गणेश अंक में उनके जीवन का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें बहुत सारे उपाय भी बताए गए हैं जिन्हें दैनिक जीवन में अपनाकर समस्त दुखों का नाश कर सुखी और समृद्ध जीवनयापन किया जा सकता है।

गणपति बप्पा को समर्पित ग्रंथ श्री गणेश अंक में उनके जीवन का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें बहुत सारे उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें दैनिक जीवन में अपनाकर समस्त दुखों का नाश कर सुखी और समृद्ध जीवनयापन किया जा सकता है।

जीवन में कोई अभाव नहीं रहता

इसी ग्रंथ में गणेश जी के 12 नामों का उल्लेख मिलता है। जो व्यक्ति हर रोज गणेश जी के इन बारह नामों का स्मरण अथवा जाप करता है, उसके जीवन में कभी कोई अभाव नहीं रहता। विघ्नहर्ता उसे हर तरह की परेशानी से मुक्त कर देते हैं। इन नामों का पाठ अथवा श्रवण किसी भी संकट के समय किया जा सकता है। विद्या, धन, संतान और स्वास्थ्य के इच्छुक जातकों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली अड़चनों और संकटों से छुटकारा मिलता है।

श्लोक

प्रथमं वक्रतुण्ड च एकदन्तं द्वितीयकम्, तृतीयं कृष्णपिड्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।। लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च, सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम्।। नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्, एकादशं गणपतिं द्वादर्श तु गजाननम्।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः, न च विध्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम्।।

अर्थ

पहला नाम है वक्रतुण्ड, दूसरा एकदन्त, तीसरा कृष्णपिड्गाक्ष, चौथा गजवक्त्र, पांचवां लम्बोदर, छठा विकट, सातवां विघ्नराजेन्द्र, आठवां धूमवर्ण, नौवां भालचन्द्र, दसवां विनायक, ग्यारहवां गणपति और बारहवां नाम गजाजन है।

-ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीपति त्रिपाठी

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Posted By: Kartikeya Tiwari