असम में हुए शहरी म्‍यूनिस्‍पल बोर्ड इलेक्‍शन परिणामों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार का दर्द झेल रही भाजपा के जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया है. निकाय चुनाव में भाजपा ने करीब 50 फीसद नगरपालिकाओं में जीत हासिल की और पहली बार कांग्रेस को पछाड़ा.


दो दिन पहले दिल्ली में बुरी तरह हार से परेशान भाजपा को असम निकाय चुनाव में राहत मिली है. इससे पार्टी में उत्साह का संचार हुआ है. नौ फरवरी को हुए चुनाव में 14 लाख मतदाताओं में से 74 फीसद ने वोट डाले थे. गुरुवार को आए चुनाव परिणामों के अनुसार, भाजपा ने 74 नगरपालिकाओं में से 38 में बहुमत हासिल किया है, जबकि कांग्रेस को 17 नगरपालिकाओं में जीत मिली. असम गण परिषद को मात्र दो नगरपालिका जबकि एनसीपी को एक में जीत मिली है. वार्डों की संख्या के अनुसार, प्रदेश के कुल 743 वार्डों में से 702 के परिणाम आए. इसमें भाजपा ने 340 वार्ड अपने नाम किए, जबकि कांग्रेस को 232 व असम गण परिषद को 39 वार्डों में जीत हासिल हुई. अन्य पार्टियों को 10 से भी कम वार्ड मिले.
2009 में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की थी. उसने अगप के साथ मिलकर चार सौ से ज्यादा वार्डों पर कब्जा जमाया था. इस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर की पार्टी थी. लेकिन इस बार हार से ऊपर उठकर भाजपा ने सबसे ज्यादा नगरपालिकाओं पर कब्जा किया और अकेले दम बहुमत साबित किया है. हालांकि मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के निर्वाचन क्षेत्र के निकायों में कांग्रेस सम्मान बचाने में सफल रही है, लेकिन कई मंत्रियों के क्षेत्र में भाजपा ने वर्चस्व स्थापित कर लिया है. भाजपा इसे विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रही है, जिसमें भाजपा खुद को शहरी क्षेत्र में मजबूत देखने लगी है. मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि लोकसभा चुनाव से बेहतर परिणाम आए हैं. आगामी विधानसभा चुनावों में और बेहतर परिणाम मिलेंगे.

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Posted By: Molly Seth