नौकरी तो छोड़ दी अब 'आप' का क्या होगा?
चाहे वो दिल्ली हो, पंजाब या फिर देश के दूसरे राज्य, 'आम आदमी पार्टी' ने कम समय में ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. कई 'प्रोफेशनल' अपनी नौकरियां छोड़कर आम आदमी पार्टी के साथ हो लिए.उन्हें लगा कि उनकी मुहिम को कामयाबी ज़रूर मिलेगी. कामयाबी मिली भी और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की गद्दी तक का सफ़र तय भी कर लिया.मगर ये सब कुछ ज़्यादा देर तक नहीं टिका. दिल्ली की सत्ता तो छोड़ी ही, इस दौरान कई फ़ैसले ऐसे भी किए गए जिनकी वजह से आम आदमी पार्टी आलोचनाओं से घिरने लगी.चाहे वो दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से अरविंद केजरीवाल का इस्तीफ़ा हो, उनका बनारस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना या फिर मानहानि के मुक़दमे में ज़मानत का मुचलका भरने से इनकार करना.'ग़लतियों से सबक'
आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रही शाज़िया इल्मी ने पार्टी छोड़ दी है.इन्हीं में से एक हैं शाज़िया इल्मी, जिन्होंने हाल ही में आम आदमी पार्टी छोड़ दी. शाज़िया को लगता है कि संगठन में बस चंद लोगों की बात चलती है और यही कारण है कि बार-बार ग़लतियाँ हो रहीं हैं.
वह कहती हैं, "देश के लिए काम करने के लिए कुछ शानदार मौके मिले. ऐसे मौक़ों को हमने ग़लत फैसलों की वजह से गंवा दिया. और यह फैसले सिर्फ तीन-चार लोगों के हैं. किसी से कोई सलाह भी नहीं ली गई. ऐसे भी मौके आए जब मुख्यमंत्री बनने के बाद अरविंद से बात तक नहीं हो पाती थी.शाज़िया के मुताबिक़, "चाहे सरकार बनाने की बात हो या फिर छोड़ने की. चाहे वह लोकसभा की 430 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला हो या फिर अरविंद का बनारस से चुनाव लड़ने का फ़ैसला हो, हम लोगों से कोई चर्चा तक नहीं हुई, जबकि हम पहले दिन से साथ रहे. इन फ़ैसलों से सिर्फ दो-तीन लोगों का ही सरोकार रहा."सरकारी नौकरी छोड़ दी
अंकित लाल कहते हैं, "भाजपा को ही ले लीजिए. कितने साल लग गए उन्हें पूर्ण बहुमत हासिल करने में. सब कुछ निराशाजनक नहीं है. हाँ, हमारे कुछ फ़ैसले ग़लत रहे. मगर सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है. हम ग़लतियों से ही तो सीखेंगे. हमारी तो अभी शुरुआत ही हुई है और सफ़र काफी लंबा है."अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के दूसरे नेताओं ने पिछले दिनों हुई ग़लतियों के लिए माफ़ी ज़रूर मांगी है.मगर सपनों और उम्मीदों को लेकर जुड़े उन हज़ारों स्वयंसेवकों को लगता है कि पार्टी को अब अपना आगे का सफ़र एक बार फिर सिफ़र से शुरू करना पड़ेगा. हालांकि पंजाब में लोकसभा चुनाव में मिली सफलता ने उनमें एक नई उम्मीद जगाई है.