जेटली ने बताया मनमोहन सिंह को 'सयाना'
प्रधानमंत्री की तारीफ़ों के पुल बांधते हुए भाजपा नेता और राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा कि मनमोहन सिंह की निजी सत्यनिष्ठा हमेशा संदेह से परे रही है.अरुण जेटली ने उन्हें 'सयाना आदमी' बताते हुए कहा कि जिस भी विषय से उनका सामना होता था, उसके बारे वो पहले से ही व्यवस्थित अध्ययन और तैयारी से लैस रहते थे.उन्होंने कहा कि अब दस वर्ष के लंबे समय तक सरकार का नेतृत्व करने के बाद उनके जाने का समय है. प्रधानमंत्री 'गरिमा और शिष्टता' के साथ विदा ले रहे हैं.अपने ब्लॉग में भाजपा नेता ने लिखा है, ''वो एक बुज़ुर्ग अनुभवी राजनेता और विश्वसनीय छवि के रूप में देश के मार्गदर्शक बने रहेंगे.''उन्होंने लिखा, ''यदि उन्होंने सही वक़्त पर अपनी आवाज़ उठाई होती और असहमति व्यक्त की होती तब भी उनका बड़ा सम्मान होता.''दो खूबियां
जेटली ने कहा, ''राव को कभी भी वो श्रेय नहीं दिया गया, जिसके वे वाकई हक़दार थे. मुझे विश्वास है, इतिहास उनका पुनर्मूल्यांकन करेगा.''उन्होंने लिखा है कि मैंने कुछ समय पहले मनमोहन सिंह से कहा था कि अगर वो अपने संस्मरण लिखेंगे तो मैं उस किताब का 1991-1996 वाला अध्याय ज़रूर पढ़ना चाहूँगा.आगे जेटली कहते हैं, ''इस दौरान वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने जो संकेत छोड़े हैं, उन्हें लम्बे समय तक याद किया जाएगा.''उन्होंने लिखा, ''जब राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के फ़ैसले के नाम पर सुधारों की प्रक्रिया रुक गई थी या जब राहुल गांधी ने एक विवादास्पद अध्यादेश को फाड़ दिया था तो प्रधानमंत्री को शक्तिहीन नेता के रूप में लिया गया, जिसे बिना अपनी मर्ज़ी के सबकुछ स्वीकार करना पड़ता था.''उन्होंने लिखा, ''यह उनकी अक्षमता ही थी कि वे अपने काम काज में किसी व्यक्ति की दख़लंदाज़ी को अस्वीकार नहीं कर पाते थे. अंतिम निर्णय पर उनका अधिकार नहीं था.''
जेटली ने लिखा है, ''यदि उन्होंने निर्णय लिया होता और एक बार भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद कोल ब्लॉक आवंटन को निरस्त कर दिया होता या अदालत की बजाय खुद ही 2जी लाइसेंस को रद्द कर दिया होता तो मुझे तनिक भी संदेह नहीं है कि इतिहास में उन्हें दूसरी तरह याद किया जाता. अपनी पार्टी में बोल पाने में उनकी अक्षमता ही थी, जिसके कारण इतिहासकार अब उनके बारे में अलग विचार रख सकते हैं.''