आर्टिकल 370 पर रूस ने खुलकर किया भारत का सपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र में भी कहा यह भारत का आंतरिक मामला
कानपुर। जम्मू-कश्मीर मसले पर रूस ने भारत का खुलकर सपोर्ट किया है। भारत में रूस के राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने आर्टिकल 370 पर मीडिया से बात करते हुए कहा, 'यह भारत सरकार का संप्रभु निर्णय है, यह भारत का आंतरिक मामला है। भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मसलों को शिमला और लाहौर समझौते के तहत बातचीत करके हल किया जा सकता है।' बता दें कि रूस की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठा रहा है।
Russian Envoy to India, Nikolay Kudashev on #Article370: This is the sovereign decision of Indian government, it's an internal matter of India. All issues existing between India & Pakistan should be resolved through dialogue on the basis of Shimla agreement & Lahore declaration. pic.twitter.com/Cd9gip1o8d— ANI (@ANI)
भारत के संविधान के दायरे में लिए गए हैं निर्णय
वहीं भारत में तैनात रुसी उप-उच्चायुक्त रोमन बाबुश्किन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'भारत-पाकिस्तान विवाद में रूस की कोई भूमिका नहीं है, जब तक कि दोनों मध्यस्थता की मांग नहीं करते। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी हमने कहा है कि कश्मीर भारत का एक आंतरिक मुद्दा है।' बता दें कि इससे पहले 10 अगस्त को रूस के विदेश मंत्रालय ने आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद भारत-पाक के बीच बढ़े तनाव पर अपने बयान में कहा, 'हम आशा करते हैं कि भारत और पाकिस्तान अपने मतभेदों को राजनीतिक और कूटनीतिक माध्यमों से 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणा के प्रावधानों के आधार पर हल करेंगे। जम्मू और कश्मीर की स्थिति में परिवर्तन और दो केंद्र शासित प्रदेशों में उसका विभाजन से संबंधित निर्णय भारत के संविधान के दायरे में लिए गए हैं। दोनों पक्ष इस मामले में अपने विवाद को बढ़ने नहीं देंगे।'
भारत-पाक के बीच बढ़ा तनाव
गौरतलब है कि 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प व जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन व जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश किया था। राज्यसभा में अनुच्छेद 370 संबंधी प्रस्ताव स्वीकार और जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक पास हो गया था। इसके बाद दूसरे दिन यह लोकसभा में पेश हुआ और शाम को यहां से भी हरी झंडी मिली गई। प्रस्ताव पास होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया। वहीं लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। भारत सरकार के इसी फैसले के बाद भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ गया है।