रूस की मध्यस्थता से आर्मीनिया और अजरबैजान युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों देश के सैनिक शनिवार की दोपहर से नागोर्नो करबाख पर गोलीबारी रोकना शुरू कर देंगे। पिछले दो सप्ताह से इलाके में अलगाव को लेकर भारी गोलीबारी हो रही है।


मास्को (एएपी)। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक बयान में कहा कि वे कैदियों की अदला-बदली करने को तैयार हैं। बाकी जिन बातों पर सहमति बनी है उसके बारे में बाद में बताएंगे। मास्को में 10 घंटों की वार्ता के बाद युद्धविराम की घोषणा की गई है। दोनों देशों के बीच बैठक का आयोजन रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने किया था। बयान भी उन्होंने ही पढ़ा था। उनका कहना था कि युद्धविराम दोनों देशों के संघर्ष को खत्म करने के लिए एक रास्ता है।रूस की बड़ी कूटनीतिक जीत
यदि यह युद्धविराम संधि कारगर साबित होती है तो रूस की बड़ी कूटनीतिक जीत होगी। रूस का आर्मीनिया संग सुरक्षा समझौता है लेकिन अजरबैजान के साथ भी उसके अच्छे रिश्ते हैं। 27 सितंबर से अजरबैजानी और आर्मीनियाई सैनिकों के बीच युद्ध हो रहा है। नागोर्नो करबाख में गोलीबारी की वजह से सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। नागोर्नो करबाख में दोनों देशों के बीच दशकों पुराना विवाद है। 1994 में अलगाव को लेकर एक युद्ध खत्म हुआ था तब से यह सबसे बड़ा संघर्ष है जिसमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।पुतिन ने दोनों मंत्रियों को किया आमंत्रित


विवादित इलाका अजरबैजान में है लेकिन इस पर आर्मीनिया समर्थित बलों का कब्जा है। आर्मीनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता हुई। इन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आमंत्रित किया था। इससे पहले संघर्ष विराम तोड़ने के बाद अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन से पुतिन ने कई दौर की बातचीत की थी। युद्ध की शुरुआत में आर्मीनिया ने कहा था कि वह शांति के लिए बातचीत को तैयार है लेकिन अजरबैजान ने पुरानी शर्तों को दोहराया कि शांति के लिए उन्हें पहले नागोर्नो करबाख से आर्मीनियन बलों को हटाना होगा।

Posted By: Satyendra Kumar Singh