भारतीय सेनाओं के सर्वोच्‍च पदों में आर्मी जनरल नेवी का एडमिरल और एयरफोर्स में एयर चीफ मार्शल होता है। इन सब के अलावा किसी भी स्थिती में देश की रक्षा करने और युद्ध के दौरान दुश्‍मन के सामने अभूतर्पूव साहस दिखाने एवं सर्वश्रेष्‍ठ सैन्‍य योगदान के लिए एक फाइव स्‍टार रैंक भी होती है। भारत में अभी तक ये फाइव स्‍टार रैंक हासिल करने का रुतबा सिर्फ तीन लोगों को मिला है।

 

 

1- अर्जन सिंह

मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह इंडियन एयरफोर्स मार्शल थे। 1964 से 1969 तक उन्होंने चीफ ऑफ एयर स्टाफ के तौर पर भारतीय वायु सेना में अपनी सेवाएं दीं। 1965 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया। 1966 में पो पहले एयरफोर्स ऑफीशर बने जिन्हें मार्शल ऑफ द एयरफोर्स के पर पर प्रमोट किया गया। वो 1989 से 1990 के बीच में दिल्ली के लेफ्टीनेंट गर्वनर भी रहे। 2002 में वो पहले और इकलौते ऑफीसर बने जिन्हें फाइव स्टार रैंक पर प्रमोट कर मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स बनाया गया। 

3- सैम बहादुर

फील्ड मार्शल सेम मानेकशॉ जिन्हें सैम बहादुर के नाम से जाना जाता है। 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान वो इंडियन आर्मी के चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ थे। वो पहले ऐसे आर्मी ऑफीसर थे जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक पर प्रमोट किया गया था। द्वतीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं दी थी। 1969 में वो आठवें ऑफीसर थे जो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बने थे। 1973 में सैम बहादुर को फील्ड मार्शल पर प्रमोट कर फाइव स्टार रैक दी गई थी।

फाइव स्टार रैंक ऑफीसर को मिलती हैं ये सुविधाएं

फील्ड मार्शल का रैंक आजीवन के लिए होता है। रिटायरमेंट से इसका कोई लेना-देना नहीं। मृत्यु होने तक इसी पद पर व्यक्ति बना रहता है। इसका मतलब ये है कि इस पद पर पहुंचे लोग पेंशन नहीं लेते क्योंकि जीवित रहने तक उन्हें पूरी सैलरी दी जाती है। अन्य आर्मी अफसरों की तरह, फील्ड मार्शल को किसी भी ऑफिशियल समारोह पर पूरी यूनिफॉर्म में आना होता है। इंडियन नेवी में एडमिरल ऑफ द फ्लीट, इंडियन आर्मी में फील्ड मार्शल और इंडियन एयरफोर्स में फाइव स्टार रैंक को मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स कहा जाता है। नेवी में अभी तक यह पद किसी को नहीं मिला है।

 

 

Posted By: Prabha Punj Mishra