कबीर धर्मनगर दामाखेड़ के आश्रित ग्राम धोबनी में प्राइमरी स्कूल में शौचालय निर्माण के लिए खोदे जा रहे गड्ढे में मजदूरों को पांचवी-छठवीं शताब्दी के तीन सिक्के मिले हैं। इन सिक्कों में गरूढ़ की आकृति व शंख चक्र बना हुआ है। पुरातत्व विभाग ने इन्हें सरभपूरी राजवंश का बताया है।


ग्राम धोबनी के प्राइमरी स्कूल में शौचालय निर्माण के लिए मजदूरों द्वारा पिछले तीन दिनों से गड्ढे खोद रहे हैं। शुक्रवार को खुदाई के समय अचानक भोलाराम साहू एवं परसदास मानिकपुरी को सोने के सिक्के नजर आए। जिसे उन्होंने स्कूल के प्रधानपाठक ठाकुरदास मानिकपुरी एवं शिक्षक ललित धीवर को दिखाया। शिक्षकों ने स्कूल के समीप छठवीं शताब्ती के चितावरी देवी मंदिर के चौकीदार अश्वनी चौहान को दिखाकर कहा कि जमीन के अंदर से निकले हुए सोने के इन सिक्कों के बारे में पुरातत्व विभाग को सूचित करें। सूचना मिलने के बाद पुरातत्व विभाग के उपसंचालक जीआर भगत ने धोबनी आकर स्थल का निरीक्षण किया तथा मजदूर भोला साहू से दो सोने के सिक्के एवं परस दास मानिकपुरी से एक सोने के सिक्के बरामद किया।आज भी है छठवीं शताब्दी का मंदिर
ग्राम धोबनी में छठवी शताब्दी में सोमवंशी राजाओं ने चितावरी देवी मंदिर का निर्माण कराया था जो आज भी स्थित है लेकिन उचित देखरेख के अभाव में मंदिरों में लगे बेशकीमती मूर्तियों की चोरी हो गई है। अब यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। पुरातत्व विभाग के शोध कर रहे विषेशज्ञों ने ग्राम धोबनी का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया सिक्के सिरभपुरी राजवंश के हैं। सिक्कों पर गरुड़ की आकृति और शंख चक्र बना हुआ है।  पुरातत्व विभाग का इस मामले में कहना है कि धोबनी में मिले तीन सिक्कों से छत्तीसगढ़ के इतिहास संबंधी और भी जानकारियां मिल सकती हैं।  हालाकि अभी तक कहा यही जा रहा है कि सोने के केवल तीन सिक्के ही बरामद हुए हैं लेकिन स्थाकनीय लोगों में हो रही चर्चा की मानें तो वे और भी सिक्के मिलने की बात कह रहे हैं।

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Posted By: Molly Seth