मूवी रिव्यू: रांची की शकीरा और झुमरीतलैया के बैंकचोर मिले तो बनी Ranchi Diaries
कहानी
इंस्पेक्टर लल्लन सिंह के इलाके के देसी गॉड फादर यानी पिंकू और उनके साइडकिक बंटी,बबलू के साथ रांची की शकीरा, गुड़िया और उनके बॉयफ्रेंड मनीष एक बैंक लूटने का मूर्खतापूर्ण प्लान बनाते हैं, ताकि उनके ज़िन्दा रहने का ड्रीम पूरा हो सके। लुटता है एक लुटा हुआ ग्रामीण बैंक, फिर मचता है बवाल और छीछालेदर हो जाती है एक ऐसी फिल्म की, जो लल्लनटॉप हो सकती थी। रेटिंग : 1 स्टारनक्सलवाद के बैकड्रॉप में रची बसी ये फ़िल्म अजीब है, बेहद ही अजीब है। फ़िल्म के शुरआती 20 मिनट में एक लव सॉन्ग, एक पार्टी सॉन्ग और एक गॉडफादर सांग वैसे ही चटक पड़ते हैं जैसे पॉपकॉर्न मशीन में पॉपकॉर्न। दो दर्जन भर के किरदार भी एक के बाद एक पट पट कर के पॉप होने लगते हैं। पर सबसे बड़ी दिक्कत है पॉपकॉर्न कुरकुरे नहीं बल्कि बिल्कुल सीले हुए हैं, न तो फ्लेवर है और न ही क्रंच। फ्लेवर से मतलब है स्क्रीनप्ले और क्रंच से मतलब है डायलॉग। फ़िल्म की स्टाइलिंग देख के कौन बोलेगा की ये लफ्फद्द करेक्टर रांची वाले हैं, पेडीक्योर, मेनिक्योर, हेयरकलर और हिमांश कोहली की वैक्स की हुई चेस्ट बताती है कि फ़िल्म की कहानी लिखने वालों से ज़्यादा काम फ़िल्म की स्टाइलिंग टीम को दिया गया था। इतने किरदार हैं फ़िल्म में जो जस्टिफाय करते हैं 'टू मेनी क्रुक्स स्पोइल द रॉब'. एक वक्त पर आपको अपने हालात और देश के ग्रामीण बैंक पे दया आने लगती है। फ़िल्म कॉमिक हो सकती थी, पर इस साल पहले रिलीज़ हुई बैंक चोर से भी ज़्यादा मूर्खतापूर्ण बन कर उभरती है।
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अदाकारी
एक्टिंग के नाम पे हिमांश कोहली और ताहा शाह ने पूरी फिल्म में झुमरीतलैया के मेंढक की तरह आँखें फाड़ रखी हैं, लोकल डाइलेक्ट को इतना फोर्स्ड तरीके से बोला है कि आपको भरोसा हो जाएगा की उनको एक्टिंग स्कूल जाने की सख्त जरूरत है। दोनों ही अपने अपने किरदार में मिसफिट हैं। सौंदर्या का काम फिर भी काफी बेहतर है, अनुपम खेर, जिमि शेरगिल और सतीश कौशिक अगर न हों तो फ़िल्म देखना एक टास्क बन जाये ऐसा कहना गलत नहीं होगा। कुल मिलाकर ये फ़िल्म बैंकचोरी पर इस साल की दूसरी फ़िल्म है, बैंक चोर अगर औसत से नीचे थी तो ये फ़िल्म और भी बुरी है, ये फ़िल्म आप तभी एन्जॉय करेंगे अगर आप लॉजिक और टैलेंट की चाह को मूर्खता के बैंक में जमा करके आये हों। मेरी मानिये तो अपने दोस्तों के साथ आप ये फ़िल्म देखने जा सकते हैं और फ़िल्म का खूब मज़ाक उड़ा सकते हैं, यही फ़िल्म देखते वक़्त मेरा फेवरिट पासटाइम था। अगर आप और किसी रीज़न से देखने की इच्छा रखते हैं तो घर बैठ कर टीवी देख लीजिए, बेहतर होगा।
Yohaann Bhargavawww.facebook.com/bhaargavabolBollywood News inextlive from Bollywood News Desk