एंजलीना जोली कराएँगी एक बार फिर सर्जरी
इस सर्जरी में कैंसर से बचने के लिए दोनों स्तनों को आंशिक या फिर पूरी तरह हटा दिया जाता है.उन्होंने यह सर्जरी स्तन कैंसर होने की प्रबल संभावना को कम करने के लिए कराया था.
कैंसर के डर से एंजलीना ने हटवाए अपने स्तन
38 वर्षीय एंजलीना ने पिछले साल न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख में सर्जरी कराने की बात कही थी. उन्होंने इसकी वजह भी बताई है. उन्होंने पिछले साल कहा था, इस ख़तरे को जितना कम किया जा सकता है उतना कम करने के लिए मैंने एहतियातन यह क़दम उठाया." अभी हाल ही में एंटरटेनमेंट वीकली को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वो सर्जरी कराने के अपने निर्णय से 'बहुत ख़ुश' हैं.
उन्होंने कहा, "अभी एक और सर्जरी होनी है जिसे मैंने अब तक नहीं कराया है. मैं अगले चरण की सर्जरी कराने से पहले उन सभी शानदार लोगों से सलाह लूँगी जिनसे मैं पहले भी सलाह लेती रही हूँ." उन्होंने कहा, "मैं ख़ुशनसीब हूँ कि मुझे बहुत बढ़िया डॉक्टर मिले, मैं ख़ुशनसीब हूँ कि मेरी सेहत में अच्छा सुधार हुआ और मैं ख़ुशनसीब हूँ कि मुझे अनब्रोकेन जैसी फ़िल्म को निर्देशित करना का मौका मिला जिस पर मैं सचमुच अपने को एकाग्र कर सकती हूँ."
जनसमर्थन से अभिभूत
जोली ने कहा कि उन्हें जनता से बहुत समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा, "मैं लोगों के समर्थन और उदारता से बेहद अभिभूत हूँ." छह बच्चों की माँ एंजलीना ने सर्जरी का कारण बताते हुए कहा था कि उनकी माँ का 56 साल की उम्र में गर्भाशय कैंसर के कारण देहांत हो गया था. उन्होंने बताया था कि उनकी माँ एक दशक तक कैंसर से जूझती रही थीं.
एंजलीना के सर्जरी कराने के निर्णय की उनके पति ब्रैड पिट ने भी तारीफ़ की थी. एंजलीना के डॉक्टरों का अनुमान था कि उन्हें स्तर कैंसर होने की 87 फ़ीसदी और गर्भाशय कैंसर होने की 50 फ़ीसदी संभावना है.
इंपीरियल कॉलेज के ओवरियन कैंसर एक्शन रिसर्च सेंटर की प्रोफ़ेसर हैनी गाब्रा कहती हैं कि जिन महिलाओं में बीआरसीए 1/2 जीन म्यूटेशन होता है उनके पास 'ज़्यादा विकल्प' नहीं होते. वो कहती हैं, "चिकित्सा विज्ञान के पास स्तन और गर्भाशय हटवाने के अलावा दूसरे विकल्प बहुत कम ही हैं." वे कहती हैं ऐहतियातन स्तन या गर्भाशय को सर्जरी से हटवा लेने से गर्भाशय कैंसर होने की संभावना काफ़ी कम हो जाती है.
प्रोफ़ेसर गैब्रा कहती हैं, "गर्भाशय निकालने से महिलाओं की गर्भ धारण करने की क्षमता ख़त्म हो जाती है और उन्हें असमय ही रजोनिवृत्ति से गुजरना पड़ता है. प्राकृतिक रूप से होने वाली रजोनिवृत्ति के मुक़ाबले यह बहुत तेज़ी से होता है. इसके कारण अस्थी ऊतकों के कमजोर होने या ऐसी ही दूसरी बिमारियों के होने का ख़तरा बढ़ जाता है." वे कहती हैं, "जो महिलाएँ इसे लेकर चिंतित हों उन्हें अपने डॉक्टर से इस पर राय लेनी चाहिए."