Angrezi Medium Movie Review: डैड को फॉर ग्रांटेड लेने वाले किड्स, इस मीडियम में दाखिला लेलो
सबसे पहले तो राउंड ऑफ अप्लोज इरफान खान के लिए तो बनता है। उनकी बीमारी के बारे में सबकुछ जगजाहिर है। ऐसे में फिल्म में बतौर कलाकार उन्होंने जो परफोर्मेंस दिया है, सच ही है कि शो मस्ट गो ओन मां की ममता के सामने हमें उनकी चुपकी वाला प्यार कहाँ नजर आता है। परीक्षा के वक़्त मां जब हेल्दी वाला दूध लाकर पिलाती है, तब बिट्टू के एग्जाम शुरू है, दो केजी ज्यादा दूध दे देना।।। वाला इंस्ट्रक्शन कहाँ नजर आता है। और एग्जाम पास होने पर मम्मी के तो भर भर के आंसू निकल आते हैं। पापा की खामोशी से जो कोने में आंसू बहाते हैं, वह कहाँ नजर आता है। मम्मी जिस सीक्रेट बैंक से पॉकेट मनी दिलाती है, वह वाया पापा के ही आती है, लेकिन हम इंडियन बच्चों को वह पापा का प्यार, वो दुलार कहाँ नजर आता है। होमी अदजानिया की फिल्म अंग्रेजी मीडियम कोने में खड़े होकर, बिना कुछ अपने बच्चे की हर ख्वाहिश को पूरा करने वाले उसी पापा की कहानी है।
फिल्म : अंग्रेजी मीडियमकलाकार : इरफ़ान खान, करीना कपूर खान, राधिका मदन, दीपक डोबरियाल, रणवीर सोरी, डिम्पल कपाड़िया, किकू शारदानिर्देशक : होमी अदजानियाकहानी : चंपक ( इरफ़ान खान ) अपनी इकलौती टी तारिका ( राधिका मदन) से बेशुमार करता है। तारिका की मां उसके बचपन में ही गुजर गई। चंपक राजस्थान के एक मशहूर मिठाई ब्रांड की दुकान चलाता है। उसके मन में एक टीश है कि उसने अपनी पत्नी के सपनों का गला घोंट दिया था। उसे आगे पढ़ने नहीं दिया। बेटी के साथ ऐसा नहीं करना चाहता। बेटी तारू को लन्दन की यूनिवेर्सिटी पढ़ना है। वह जिद्द लेकर बैठ जाती है। मेहनत भी करती है। लेकिन यहाँ कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट आता है, जिसके कारण वह मेरिट होते हुए भी लंदन नहीं जा पाती है। लेकिन चंपक हर हाल में बेटी की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए क्या-क्या रास्ते इखितियार करता है। फिल्म इसी के इर्द-गिर्द है। एक पिता अपने बच्चे की चाहत को पूरा करने के लिए किस तरह के जोखिम को उठाता जाता है। फिल्म में उसे बारीकी से दर्शाया गया है। इस काम में उसका साथ चम्पक का भाई ( दीपक डोबरियाल ) भी देते हैं। लेकिन लंदन जाने में तारू अचानक वहां के रंग में ढल कर जमीन को भूल जाती है। कैसे वह एक बार फिर से जमीन की तरफ लौटती है। फिल्म में किरदारों के इमोशन को मनोरंजन के साथ बेहद संजीदा तरीके से दर्शाया गया है।
क्या है अच्छा : किरदारों का चयन तो वाह भाई वाह है। फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती। मनोरंजन के माध्यम से एक से बढ़ कर एक इमोशनल करने वाले डायलॉग हैं। कलाकारों की कॉमिक टाइमिंग सुपर्ब है।क्या है बुरा : फिल्म पहले अन्तराल में थोड़ी खींचती है, लेकिन अन्तराल के बाद एक से दिलचस्प घटनाएं खूब मनोरंजन करती है। करीना कपूर और डिम्पल के रोल को और विस्तार दिया जा सकता था। कुछ इन्सिदेंट्स गैर जरूरी भी थे।
अदाकारी : इरफ़ान खान हैं फिल्म की जान, उनके किरदार और एक ही समय में कॉमिक और इमोशनल सीन में क्या बेहतरीन परफॉर्म करते हैं। बतौर कलाकार उन्होंने कहीं भी महसूस नहीं होने दिया कि वह ऐसी भयानक बीमारी से जूझ रहे। दीपक डोबरियाल के साथ उनकी ट्यूनिंग कमाल हुई है। इरफ़ान इस फिल्म में ताजगी से भरपूर नजर आये हैं। दीपक ने पूरी तरह से इरफ़ान के किरदार को सपोर्ट किया है। कई दृश्यों में वह उन पर भारी भी पड़े हैं। उन्हें ऐसे किरदार और करने चाहिए। राधिका की यह तीसरी फिल्म है। वह वर्तमान नए दौर के कलाकारों में सबसे कांफिडेंट दिख रही हैं और शानदार अभिनय कर रही हैं। दिग्गज कलाकारों के सामने भी वह कहीं से नर्वस नहीं दिखी हैं। किकू शारदा को पहली बार किसी फिल्म में दिलचस्प और अच्छा किरदार निभाने का मौका मिला। उन्होंने अपनी बनी इमेज से बाहर आकर अच्छा अभिनय किया है। पंकज गेस्ट अपीयरेंस में मनोरंजन कर पाने में सफल रहे हैं। करीना कपूर के किरदार में काफी फ्रेशनेस है। उनके किरदार का विस्तार होता तो और अच्छा होता। डिम्पल कम दृश्यों में ही नजर आई हैं। लेकिन सार्थक नजर आई हैं।
वर्डिक्ट : फिल्म कोरोना वायरस की मार न झेले तो अच्छा,ऐसी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर कामयाब होना जरूरी है। लेकिन कोरोना वायरस का खौफ दर्शकों को फिल्म थियेटर जाने से रोक सकता है। वरना, फिल्म माउथ पब्लिसिटी के माध्यम से कामयाब हो सकती है। साथ ही इरफ़ान के फैन्स के लिए यह खास सौगात भी है। तो उम्मीद की जा सकती है।बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : अगर कोरोना के खौफ का असर न रहे तो 25 करोड़ से पाररेटिंग : 3.5 स्टारReviewed by: Anu Verma