दंगे होते हैं या करवाए जाते हैं?
दंगे होते हैं या करवाए जाते हैं? यह बहस बहुत पुरानी है.पर क्या वाक़ई कहीं भी दंगे करवाना और भड़काना इतना आसान है? क्या सही में नफ़रत की खेती कोई कर रहा है या यह वह पौधा है, जो अपने आप ही उग रहा है.पढ़ें पूरी रिपोर्ट
लेकिन अगर सांप्रदायिक दंगों की बात की जाय, तो इस साल अक्तूबर तक हर महीने भारत में 56 दंगे हुए हैं जिसमें 90 लोग मारे गए हैं और 1688 घायल हुए हैं. पिछले साल इस समय तक 133 लोग सांप्रदायिक दंगों में मारे गए थे.संसद में दंगों को लेकर हुई बहस में गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने बताया कि ज़्यादातर सांप्रदायिक दंगे सोशल मीडिया पर आपत्ति जनक पोस्ट, लिंग संबंधी विवादों और धार्मिक स्थान को लेकर हुए हैं.'दंगे हमेशा करवाए जाते हैं'
वह कहते हैं की दिल्ली में 1984 से 30 सालों के बाद तक कभी त्रिलोकपुरी जैसी घटना नहीं हुई तो फिर अचानक क्यों?हर्ष मंदर का कहना है, "दंगे करवाने के लिए तीन चीज़ें बहुत जरूरी है. नफ़रत पैदा करना, बिल्कुल वैसे जैसे किसी फैक्टरी में कोई वस्तु बनती हो. दूसरा, दंगों में हथियार, जिसका भी प्रयोजन होता है."उन्होंने बताया, "अगर बड़े दंगे करवाने हैं तो छुरी और सिलिंडर बांटे जाते हैं और सिर्फ एक तनाव का वातावरण खड़ा करना हो तो ईंट-पत्थर. तीसरा है, पुलिस और प्रशासन का सहयोग जिनके बिना कुछ भी मुमकिन नहीं."खाकी का रंग
खोपड़े कहते हैं कि कई बार पुलिस भी दंगाइयों पर नरमी बरतती है. उनका मानना है, "कोई भी पुलिस अफ़सर अपने इलाक़े में दंगा नहीं होने देना चाहता लेकिन पुलिस के पास भीड़ को काबू करने के तरीके ही नहीं हैं और न ही उनके पास कोई ऐसे हथियार हैं."