गुलाबो-सिताबो में 'मिर्जा' बनना अमिताभ के लिए नहीं था आसान, हर दिन 5 घंटे करना पड़ता था ये काम
मुंबई (आईएएनएस)। बाॅलीवुड के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन जो भी फिल्म करते हैं। पूरी शिद्दत के साथ उस किरदार को निभाते हैं। इस बार उन्हें फिल्म 'गुलाबो-सिताबो' में मिर्जा का किरदार मिला, जो एक बूढ़ा व्यक्ति है। हालांकि अमिताभ ने बुजर्ग का किरदार पहले भी कई बार पर्दे पर निभाया मगर गुलाबो-सिताबो में उनके मिर्जा कैरेक्टर को लेकर जो मेहनत करनी पड़ी, उसे बिग बी कभी नहीं भूलेंगे। अमिताभ की यह फिल्म आज ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर रिलीज हो गई।अमिताभ ने बताया शूटिंग में क्या होती थी दिक्कत
अमिताभ ने शूजित सरकार की इस फिल्म पर काम करते समय सबसे बड़ी चुनौतियों के बारे में बात करते हुए आईएएनएस को बताया, 'गुलाबो-सिताबो" करना आसान नहीं था। वहाँ प्रोस्थेटिक मेकअप दिनचर्या में शामिल था, मुझे रोजाना चार से पांच घंटे तक उस मेकअप के साथ रहना पड़ता था। इसमें काफी बेचैनी होती थी क्योंकि शूटिंग मई की गर्मियों में हुई थी। लेकिन अगर आप अपने आप को एक पेशेवर कहना चाहते हैं तो हर चुनौती को स्वीकार करना पड़ेगा।' बिग बी कहते हैं, उन्होंने इस किरदार को खूब इंज्वाॅय किया।ये है गुलाबो-सिताबो की कहानी
जूही चतुर्वेदी द्वारा लिखित 'गुलाबो सिताबो "में अमिताभ मिर्जा की भूमिका में हैं, जो लखनऊ में एक पुरानी जीर्ण 'हवेली' के मकान मालिक हैं, जिसका नाम फातिमा महल है। जबकि आयुष्मान खुराना जिनका नाम बांके है, वह उनके किरायेदार हैं। इन दोनों की स्थिति टाॅम एंड जेरी जैसी है।