चीन के साइबर हैकरों पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कई अमरीकी हथियारों के डिज़ाइन से जुड़े नेटवर्क को भेद लिया है.


अधिकारियों के मुताबिक फ़ाइटर जेट से लेकर मिसाइल डिफेंस सिस्टम तक की जानकारी हैकरों के हाथ लग गई है. अधिकारियों ने कहा कि पेंटागन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये उल्लंघन चीन की उस मुहिम के तहत हुआ है जिसमें चीन अमरीकी रक्षा प्रणाली से जुड़े कॉन्ट्रैक्टरों और सरकारी एजेंसियों की जासूसी करना चाहता है. यही दावा कुछ समय पहले अमरीकी अखबार वाशिंग्टन पोस्ट ने भी किया था. अमरीकी डिफेंस बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए वाशिंग्टन पोस्ट ने कहा कि चीनी हैकरों ने लड़ाकू विमानों के साथ साथ उन मिसाइल डिफेंस प्रणालियों की जानकारी पा ली है जो यूरोप, एशिया और खाड़ी के देशों के लिए सुरक्षा दृष्टिकोण से बेहद ज़रूरी हैं.


अमरीकी डिफेंस बोर्ड की रिपोर्ट में लिखा है कि हैकिंग से अमरीकी प्रगतिशील पेट्रियॉट मिसाइल सिस्टम, नौसेना का पैट्रिऑट पीएसी -3 और एजिस प्राक्षेपिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम, एफ/ए-10 लड़ाकू विमान, ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर और एफ-35 ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर जैसे उपकरणों की तकनीकी जानकारी चीन को मिल गई है. चीन के पीछे अमरीका?

पेंटागन की इस रिपोर्ट में चीन की सरकार पर प्रत्यक्ष रूप से क्लिक करें आरोप नहीं लगाया गया है, लेकिन इसके सार से पता चलता है कि अमरीका ने हाल ही में चीन की सरकार को इस बाबत चेतावनी दी थी.

रिपोर्ट से जुड़े एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि चीनी हैकरों के हाथों कितनी जानकारी लगी है. इस रिपोर्ट की एक सार्वजनिक स्तुति जनवरी में जारी की गई थी जिसमें लिखा था कि अमरीका साइबर युद्ध से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. मंगलवार को पेंटागन ने कहा कि साइबर उल्लंघन को लेकर उनकी चिंताएं बढ़ती जा रही हैं.बढ़ती चिंताएंपेंटागन द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया, “जासूसी की हरकतों से वैश्विक आर्थिक व आंतरिक सुरक्षा खतरे में है क्योंकि साइबर दखलअंदाज़ी से बौद्धिक संपदा, व्यापार के रहस्य व वाणिज्यिक आंकड़ों पर हमला होता है.” साइबर सुरक्षा मामलों के जानकार जेम्स ल्यूइस ने कहा कि अगर ये रिपोर्ट सच्ची है तो ‘इसका मतलब ये है कि अमरीकी सेना चीनी सेना से कम प्रभावी है.’ उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों से इस समस्या को गंभीरता से संबोधित किया जाने लगा है, लेकिन 1999 और 2009 के बीच तो चीनी हैकरों के लिए सभी दरवाज़े मानो खुले हुए थे. रिपोर्ट के मुताबिक जिन हथियारों की जानकारी चीनी हैकरों के हाथ लगी है, उन्हें बनाने वाली कंपनियों में बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, रेथियॉन और नॉर्थरॉप ग्रुमन जैसे बड़े नाम शामिल हैं.


ये पहली बार नहीं है जब चीन पर साइबर सेंधमारी के आरोप लगे हैं. माना जा रहा है कि इस साल जुलाई में जब अमरीकी राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चीन दौरे पर जाएंगे तो साइबर हमला चर्चा के मुख्य बिंदुओं में से एक होगा.

Posted By: Garima Shukla