अमरीका ने कहा है कि वो मिस्र को दी जाने वाली ज़्यादातर सैनिक और वित्तीय मदद रोक रहा है. अपुष्ट ख़बरों के मुताबिक़ ये मदद करोड़ों डॉलर की है.


अमरीकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसकी समीक्षा का निर्देश दिया था, जिसके बाद ये तय हुआ कि अमरीका को अपनी सहायता में कटौती करनी चाहिए.अमरीकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा, "अमरीका व्यापक स्तर के सैन्य उपकरणों को भेजने पर उस समय तक रोक लगाए रखेगा, जब तक वहाँ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के तहत लोकतांत्रिक तरीक़े से सरकार नहीं चुनी जाती और इस दिशा में विश्वसनीय स्तर पर प्रगति नहीं होती."अधिकारियों के मुताबिक़ अमरीका अपाचे हेलिकॉप्टर, हारपून मिसाइल और टैंक के पुर्जे भेजने पर रोक लगा रहा है.योजनाअमरीका लोन गारंटी के रूप में 30 करोड़ डॉ़लर और 26 करोड डॉलर के कैश ट्रांसफ़र पर भी रोक लगाने की योजना बना रहा है.लेकिन अमरीका मिस्र को स्वास्थ्य, शिक्षा, निजी क्षेत्र के विकास और आतंकवाद को रोकने की दिशा में मदद देना जारी रखेगा.


इस साल अगस्त में मुस्लिम ब्रदरहुड के ख़िलाफ़ सैनिक कार्रवाई हुई थी, जिसके बाद अमरीका ने चार एफ़-16 लड़ाकू विमान देने पर रोक लगा दी थी, साथ ही संयुक्त सैनिक अभ्यास भी रद्द कर दिया था.सैनिक कार्रवाई के दौरान सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी.

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मिस्र की सैन्य समर्थित अंतरिम सरकार के असंगत फ़ैसलों की आलोचना की थी.हालाँकि अमरीका ने मोहम्मद मोर्सी को राष्ट्रपति पद से हटाए जाने को तख़्तापलट नहीं कहा था.संघर्षजुलाई में सेना ने मोहम्मद मोर्सी को पद से हटा दिया था. उसके बाद से मुस्लिम ब्रदरहुड समर्थकों की सेना के साथ कई बार झड़प हो चुकी है.रविवार को भी मिस्र के कई शहरों में मोर्सी समर्थकों, विरोधियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष में 50 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी.पिछले दो महीनों के दौरान हज़ारों मोर्सी समर्थकों को हिरासत में भी लिया गया है.मिस्र की सरकारी मीडिया के मुताबिक़ चार नवंबर से मोर्सी के ख़िलाफ़ मुक़दमा शुरू होगा. उन पर हिंसा भड़काने और हत्या के लिए उकसाने का आरोप है.

Posted By: Subhesh Sharma