गांव-कस्बों में फैली COVID-19 लहर कैसे रोकेगी सरकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा प्लान
इलाहाबाद (पीटीआई)। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा तथा जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार कोविड-19 के हालात से निपटने के लिए सिर्फ बड़े शहरों पर ही ध्यान दे रही है। याची का दावा है कि दुर्भाग्य से छोटे जिलों तथा शहरों की उपेक्षा की जा रही है। साथ ही यह भी दावा किया गया कि मीडिया भी छोटे शहरों तथा जिलों के महामारी के हालात को बयान नहीं कर रहे। याचिका में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में हालात बद से बद्तर हो गए हैं। मेडिकल केयर न मिलने की वजह से महामारी कहर बनकर टूट रही है।गांवों में हालात बद से बद्तर
मेरठ मेडिकल काॅलेज के ट्रामा सेंटर में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी से मौतें हुईं। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं बल्कि किसी और कारण से हुई है। मंगलवार को उच्च न्यायालय ने अपनी एक कड़ी टिप्पणी में कहा था कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से कोविड-19 मरीजों की मौत एक आपराधिक कृत्य है। यदि ऑक्सीजन की कमी से मरीज की मौत होती है तो यह उन अथाॅरिटी द्वारा किए गए नरसंहार से कम नहीं है, जिन पर ऑक्सीजन आपूर्ति चेन बरकरार रखने का जिम्मा है। लखनऊ तथा मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से मौत पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी। कोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।