शहर जहां बच्चों को गोली मारी जा रही है
सैकड़ों लोग रोज़ पढ़ने, खाने का सामान लेने, काम पर जाने के लिए यहां से जान हथेली पर रखकर एक से दूसरी तरफ़ जाते हैं क्योंकि छतों पर बंदूकधारी छुपे होते हैं.अलेप्पो के इस इलाके में हमेशा तनाव रहता है क्योंकि कोई नहीं जानता कि कब किसे गोली लग जाए.इलाके के एकमात्र डॉक्टर सैम कहते हैं, “आज दोपहर मैंने एक बच्चे का इलाज किया जिसकी बांह पर गोली लगी थी. ज़्यादातर बच्चे ही होते हैं. मुझे लगता है कि बंदूकधारी बच्चों को निशाना बना रहे हैं, सिर्फ़ बच्चों को.”'ज़िंदा रहना है, क्या करें'
कुछ समय पहले तक चेकपॉइंट विद्रोही सैनिकों के एक गुट के कब्ज़े में था जो पहले से बदहाल लोगों से पैसा उगाहने की कोशिश करते थे.पिछली बार जब मैं बुस्तान अल-क़सर आई थी तो उन्होंने मेरा कैमरा छीनने की कोशिश की थी. तभी एक निशानेबाज़ ने गोली चला दी और उस गफ़लत में मैं बच निकली थी.अब चेकपॉइंट पर शहर के सबसे बड़े विद्रोही गुट अहरार सुरेया का कब्ज़ा है.
मुझे शहर के विद्रोही नियंत्रित हिस्से में शरीया अदालत पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अबु यासिन से मिलने के लिए ले जाया गया. शरीया अदालत पुलिस अब बुस्तान अल-क़सर को नियंत्रित करती है,अबु यासिन ने उस कोने में एक इमारत की ओर इशारा किया जहां मुख्य सड़क में एक दिशा से आ रही सड़क मिलती है. वहां सरकार के कब्ज़े वाली एक इमारत की मीनार पर निशानेबाज़ तैनात हैं.वह कहते हैं, “वहां 72 निशानेबाज़ हमारी ओर बंदूकें ताने हैं. और वह हमेशा नागरिकों को ही निशाना बनाते हैं.”
इसका मतलब होगा कि सारा पढ़ाई नहीं कर पाएगी और सरकारी इलाके में कुछ परिवारों के लिए भुखमरी की नौबत आ सकती है क्योंकि चाहे कितनी ही अस्तव्यस्त हो, कितनी ही जानलेवा हो बुस्तान अल-क़सर एक जीवनरेखा है.यह एक विभाजित शहर को ज़िंदगी देने वाली अकेली रक्तवाहिनी है और बहुत से लोगों का एकमात्र विकल्प भी.अलेप्पो का धर्मसंकट बुस्तान अल-क़सर में गुंथी ज़िंदगियों से समझा जा सकता है - अपने फ़ील्ड क्लीनिक में सैम, अपने लेक्चर नोट्स लेने के विश्वविद्यालय जाने वाली सारा और निशानेबाज़ों की आंखों के आगे व्यापार करते दुकानदार, अपनी ज़िंदगी ऐसी जंग के बीच जी रहे हैं जो उन्होंने नहीं चुनी थी.