अल क़ायदा की घोषणा, भारत परेशान हो?
आपको याद होगा कि कुछ हफ़्ते पहले ही इस्लामिक स्टेट (आईएस) के नेता अबू बक़र अल बग़दादी ने भी दक्षिण एशिया में अपने संगठन की शाखा खोलने की इच्छा जताई थी.इन घोषणाओं को देखते हुए मुझे लगता है कि इन दोनों गुटों की पहली नज़र उन लोगों पर है, जो सेंट्रल एशिया के उज़बेकिस्तान जैसे देशों से निकलकर पाकिस्तान में आए हैं.पाकिस्तान के वज़ीरीस्तान इलाक़े में पिछले कुछ महीनों में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ जो अभियान चलाया गया है.इस अभियान के बाद से उज़बेकिस्तान से आए जेहादी ग्रुप तितर-बितर हो गए हैं. इसके बाद से वहाँ बेठिकाना जेहादियों की संख्या ज़्यादा हो गई है. ये जेहादी अब या तो अल क़ायदा में शामिल हों या आईएस में जाएं.अलक़ायदा आईएस में होड़
यह बात ध्यान देने वाली है कि अरब जगत में पिछले कुछ सालों में हुए आंदोलनों (अरब स्प्रिंग) के बाद से अलक़ायदा की अहमियत कम हो गई है.इस्लामिक स्टेट के चरमपंथी
अल क़ायदा की इस घोषणा के बाद भारत को चिंतित होना चाहिए. यह न केवल भारत बल्कि चीन के लिए भी समस्याएं खड़ी कर सकता है. क्योंकि चीन के वीगर मुसलमान जो की वहाँ की सरकार से लड़ रहे हैं, उनसे अल क़ायदा का संबंध बढ़ेगा.भारत चीन अकेले नहीं परेशान होंगे. अल क़ायदा अगर दक्षिण एशिया पर केंद्रित को कोई गुट बनता है, तो वह न केवल भारत-चीन बल्कि बांग्लादेश और बर्मा (जहाँ रोहिंग्या मुसलमान सरकार के ख़िलाफ़ हैं) के लिए भी समस्याएं खड़ी कर सकता है.