Akshay Navami 2021 : 'अक्षय नवमी' के दिन भगवान विष्णु और आंवला वृक्ष की पूजा विशेष महत्व है। आइए जानें आखिर इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा क्यों की जाती है...


कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Akshay Navami 2021 : 'अक्षय नवमी' हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के दौरान शुक्ल नवमी के दिन पड़ती है। अक्षय नवमी के दिन को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। दृक पंचांग के मुताबिक परंपरागत रूप से अक्षय नवमी के शुभ दिन आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन ही सत्य युग की शुरुआत हुई थी। इसलिए अक्षय नवमी के दिन को सत्य युगादि के रूप में भी जाना जाता है और यह सभी प्रकार की दान-पुण्य गतिविधियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जैसा कि इसके अक्षय नाम से पता चलता है, इस दिन कोई भी धर्मार्थ या भक्तिपूर्ण कार्य करने का फल कभी कम नहीं होता और न केवल इस जन्म में बल्कि अगले अवतारों में भी व्यक्ति को लाभ होता है।
इसलिए की जाती है आंवले के वृक्ष की पूजा


पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर दर्शन के लिए आई थीं। रास्ते में उन्होंने भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने की इच्छा की। लक्ष्मी माता ने सोचा कि कैसे विष्णु और शिव की एक साथ पूजा की जा सकती है। तब उन्हें एहसास हुआ कि आंवले में तुलसी और बेल के गुण पाए जाते हैं। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। इसलिए उन्होंने आंवला की पूजा कर भगवान शिव और विष्णु दोनों को प्रसन्न किया। अक्षय नवमी अक्षय तृतीया की तरह महत्वपूर्णहिंदू शास्त्रों में अक्षय नवमी का दिन उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अक्षय तृतीया का दिन होता है। हालांकि अक्षय तृतीया त्रेता युगादि है, जिस दिन चार युगों में से त्रेता युग शुरू हुआ, अक्षय नवमी सत्य युगादि है। मान्यता है कि अक्षय नवमी के पावन दिन मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। सत्य युगादि के शुभ दिन पर अधिकतम और कभी कम न होने वाले पुण्य अर्जित करने के लिए हजारों भक्त मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं।

Akshay Navami 2021 : 12 नवंबर को है अक्षय नवमी, जानें मुहूर्त और आंवले के वृक्ष की पूजन विधि

Posted By: Shweta Mishra