Movie Review : रेड में अजय देवगन का अभिनय, 70 के दशक का लखनऊ काबिल-ए-तारीफ
कहानी एक ईमानदार इनकम टैक्स अफसर के एक बाहुबली एमएलए के घर पर इनकम टैक्स रेड डालने की कार्यवाही है फिल्म की कहानी। फिल्म रेड सत्तर के दशक की कहानी है और कथित तौर पर एक सत्य घटना पे आधारित है। इससे पहले निर्देशक ने 'आमिर' और 'नो वन किल्ड जेसिका' जैसी फिल्में बनाई हैं। 'क्या आया पसंद
फिल्म की सत्तर के दशक की फील को बनाने के लिए जिस तरह की डिटेलिंग की जरूरत है वैसी ही की गई है। बदले हुए लखनऊ शहर को 70 के दशक तक रिक्रिएट किया गया है जो काबिल-ए तारीफ है। फिल्म की अलार्म घड़ियों से लेकर फोन और गाड़ियों से लेकर साड़ियों तक ऑलमोस्ट हर चीज़ परफेक्ट है। फिल्म के संवाद अच्छे हैं और यही इस फिल्म की लाइफ लाइन हैं। अवधी हिंदी के संवाद हैं जो खासकर सौरभ शुक्ला और दादी का किरदार निभाने वाली अदाकारा के हाथ लगे हैं वो बेहद जानदार और शानदार हैं। फिल्म में जो छोटे-छोटे सब्प्लॉट चलते हैं वो भी काफी स्ट्रांग हैं। इसी तरह से फिल्म का पार्श्वसंगीत भी अच्छा है।
अजय ने ऐसी कई फिल्में की हैं और अब अफसर के किरदार में उनका काफी अभ्यास हो गया है। वो अपना किरदार सहजता से प्ले करते हैं। सौरभ शुक्ला टॉप नोच हैं और उनकी एक एक हरकत रोल के हिसाब से परफेक्ट है। पर अगर कोई सुपर से ऊपर निकलता है तो वो हैं दादी का किरदार है। फिल्म विकी डोनर की दादी से कम मज़ेदार नहीं हैं इस फिल्म की दादी। वो किरदार आप साथ घर लेकर जाएंगे। साउथ की अभिनेत्री गायत्री अय्यर ने भी अपने छीटे से रोल में जान डाल दी है...फिर भी आप हॉल से बाहर निकल कर दादी के किरदार को नाही भूल पाएंगे। समकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार जिस भी अभिनेत्री ने निभाया है वो भी तारीफ के काबिल है। जब असली नाम से बॉलीवुड में नहीं बना काम तो इन सबने रख लिया नया नाम