अभी भी HIV/AIDS से लडऩे के लिए कोई effective vaccine नहीं बन पाई है. ऐसे में इसे control करने के लिए सबसे बड़ा weapon awareness ही है. HIV/AIDS really होता क्या है इसके symptoms क्या हैं और इससे बचा कैसे जा सकता है जानिए इन्हीं सवालों के जवाब...

एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएंसी सिंड्रोम (एड्स) एचआईवी वायरस के इंफेक्शन से होने वाली एक बीमारी है जिसमें बॉडी के डिफेंसिव डिसीज फाइटिंग सेल्स सीडी4 या हेल्पर टी सेल्स बनने बंद हो जाते हैं. एचआईवी एक वायरस है जो एड्स के होने की मेन वजह है लेकिन एड्स एचआईवी इंफेक्शन की लास्ट स्टेज है. जिसके बाद पेशेंट की लाइफ के कुछ ही दिन बाकी रह जाते हैं.

Stages of AIDS

1. Infection: एचआईवी वायरस बॉडी में पहुंच कर सेल्स को इंफेक्ट करता है और आपके इम्यून सिस्टम के रिस्पांड करने से पहले खुद को कॉपी करने लगता है. 2. Response:  इस स्टेज में बॉडी वायरस से फाइट करने के लिए एंटीबॉडीज बनाती है. इस स्टेज को सेरोकंवर्जन कहते हैं. इस स्टेज के बाद आप एचआईवी पॉजिटिव हो जाते हैं.3. No symptoms: एक स्टेज ऐसी भी आ सकती है जिसमें बॉडी में एचआईवी के कोई सिम्पटम्स डाइग्नोज नहीं होंगे, पर ये डिसीज अंदर ही अंदर नुकसान पहुंचा रही होती है.4. Symptoms: इस स्टेज में बॉडी की इम्यूनिटी वीक हो जाती है. मॉउथ प्रॉब्लम्स, वेट लॉस, डायरिया, ब्रीदिंग प्रॉब्लम्स, फीवर, स्किन रैशेस, ब्लर्ड विजन कुछ ऐसे सिम्पटम्स हैं जिनपर डॉक्टर से एडवाइस लेनी चाहिए.5. AIDS: ये लास्ट स्टेज होती है जिस तक पहुंचने में एक एचआईवी इंफेक्टेड पर्सन को 4 से 10 साल लग सकते हैं. एड्स को डिटेक्ट करने के लिए इनिशियली एलाइजा टेस्ट होता है जिसके पॉजिटिव आने पर सीडी फोर कांउटिंग चेक की जाती है.


How is HIV diagnosis?
डॉक्टर्स के मुताबिक करीब हर छह महीने बाद ब्लड चेकअप कराते रहने चाहिए क्योंकि खुद से एचआईवी का पता लगाना इम्पॉसिबल है. सिम्पटम्स अकसर दूसरे डिसीजेस की तरफ इशारा करते हैं, जिससे कन्फ्यूजन बढ़ता है. फिर भी अगर आपकी छोटी हेल्थ डिसीज पर भी दवाओं का असर ना हो रहा हो तो एचआईवी चेक-अप्स कराने में देर नहीं करनी चाहिए.
Living with HIV
अगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो  एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद भी अच्छी जिंदगी जी जा सकती है...
Try to remain healthy
एचआईवी पॉजिटिव से एड्स तक का कंवर्जन प्रोसेस हर पेशेंट के लिए अलग टाइम पीरियड का होता है. ये पीरियड टोटल वायरल लोड, स्टे्रस, एज जैसे कई फैक्टर्स पर डिपेंड करता है. लेकिन आप अपनी इम्यूनिटी को स्ट्रांग करके खुद को बाकी इंफेक्शंस से बचा सकते हैं. प्रॉपर रेस्ट, मेडिटेशन, स्मोकिंग क्विट करना, निमोनिया और फ्लू के इंजेक्शंस कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपको लंबे टाइम तक हेल्दी रखती हैं.
Eat healthy
डॉ. एसी अग्रवाल कहते हैं, ‘एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट्स को प्रॉपर्ली कुक्ड या स्टेरलाइज्ड फूड  खाना चाहिए.’ अनपॉश्च्राइज्ड डेयरी प्रोडक्ट्स, कच्चे अंडे और रॉ सीफूड अवाइड करना चाहिए. होल ग्रेन, फ्रेश फ्रूट्स और लीन प्रोटीन्स एचआईवी इंफेक्टेड लोगों को फायदा करते हैं.
No severe exercise
एचआईवी पेशेंट्स को सिंपल मॉर्निंग और इवनिंग वॉक जैसी एक्सरसाइज न सिर्फ फ्रेश रखेगी, बल्कि उन्हें डिप्रेशन से भी दूर रखेंगी. लेकिन एड्स पेशेंट्स को बिल्कुल भी सीवियर एक्सरसाइजेस नहीं करनी चाहिए.
Cough can be dangerous
एचआईवी पेशेंट्स को हेल्दी रहने के लिए रेग्युलर्ली कुछ टेस्ट्स कराते रहने चाहिए. डॉ. अग्रवाल कहते हैं,‘हमारे देश में एचआईवी पेशेंट्स को सबसे ज्यादा खतरा टीबी होने का होता है. इसीलिए अगर एक-दो हफ्ते के बाद भी खांसी ठीक न हो, तो तुरंत टेस्ट करा लें.’
28 परसेंट एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट्स ही सही ट्रीटमेंट और बेहतर लाइफस्टाइल के जरिए अपने वायरसेज को कंट्रोल में रख पाते हैं, जबकि 72 परसेंट पेशेंट्स ऐसा नहीं कर पाते हैं.
How to prevent HIV?
कैजुअल सेक्सुअल रिलेशनशिप बिल्कुल अवॉयड करें. अपने पार्टनर के साथ फेथफुल रहिए. अगर आप अपने पार्टनर को लेकर श्योर नहीं हैं तो अनप्रोटेक्टेड सेक्स से बचिए.
ड्रग लेना और निडिल शेयर करना एचआईवी इंफेक्शन की बड़ी वजह है.
अगर आपको ब्लड की जरूरत हो तो एचआईवी टेस्ट करवाने के बाद ही ब्लड एक्सेप्ट कीजिए.
अपने रेजर्स को कभी भी दूसरों से शेयर ना करें.
टैटू आर्टिस्ट भी ज्यादातर एक ही निडिल का यूज करते हैं,जिससे एचआईवी इंफेक्शन की गुंजाइश बनी रहती है.
                                                                     डॉ. चमन कुमार, एआरटी सेंटर, कानपुर
Transmission of HIV in India

Other ( unspecified ) 6.02%Perinatal transmission 3.14%Blood and blood products 2.17%Injectable drug users 2.95%Sexual transmission 85.72%

(Source: National AIDS Control Organization )
Fight with HIV
हमने बात की एक्सपर्ट से और जाना कि कैसे एचआईवी पॉजिटिव लोग मेंटली हेल्दी और फिट रह सकते हैं...
एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट को डिप्रेशन के फेज से कैसे निकला जाए?
इससे बाहर निकलने के लिए इस बीमारी को एक्सेप्ट करना पहला स्टेप होता है. फिर डिसीज से जुड़ी गिल्ट फीलिंग को भुलाने की कोशिश करनी चाहिए.
पेशेंट्स पर सबसे ज्यादा प्रेशर किसका होता है?
कई पेशेंट्स इंफेक्ट होने के लिए खुद को ब्लेम करने लगते हैं. यह सेल्फ गिल्ट हार्मफुल होता है. फैमिली के डिस्ग्रेस की वजह होने का गिल्ट, सोशल आइसोलेशन का डर और फियर ऑफ डेथ भी पेशेंट्स पर प्रेशर क्रियेट करता है.
उस प्रेशर से कैसे डील करना चाहिए?
हमेशा एक्टिव रहना चाहिए. पॉजिटिव और मोटिवेशनल मैटर, रिलीजियस या नॉन-रिलीजियस उन्हें अपनी बीमारी से लडऩे की ताकत देगा. लाइफ के गोल्स को भूलने के बजाय उन्हें अचीव करने के लिए और मेहनत करनी चाहिए.
एचआईवी पेशेंट्स के आसपास लोगों को कैसे बिहेव करना चाहिए?
पेशेंट के आसपास हर टाइम बीमारी की ही बातें नहीं करनी चाहिए. न तो ओवरप्रोटेक्टिव होना चाहिए और न ही उसे ब्लेम करना चाहिए.
-डॉ. केके मिश्रा,
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट

Posted By: Surabhi Yadav