इबोला वायरस का आतंक: 887 लोगों की मौत, लाइबेरिया में सेना तैनात
संक्रमण ले चुका महामारी का रूपवेस्ट अफ्रीका में महामारी का रूप ले चुके इबोला के संक्रमण के कारण मृतकों की संख्या 887 पहुंचने के बाद सियरा लियोन तथा लाइबेरिया में सेना तैनात कर दी गई है. सेना प्रवक्ता माइकल सैमुरा ने बताया कि इस अभियान को 'ऑक्टोपस' नाम दिया गया है. जिसके तहत 750 सैनिकों को अलग-अलग क्षेत्रों में तैनात किया गया है. उन्होंने बताया कि सैनिकों और मेडिकल कर्मचारियों से भरे ट्रक कल सियरा लियोन के पूर्व में रवाना किये गये हैं, जहां इस वायरस के कारण मरने वालों के सबसे अधिक मामले सामने आये हैं. वर्ल्ड बैंक करेगा मदद
संयुक्म राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया कि गत सप्ताह गुरूवार और शुक्रवार को ही गुएना, लाइबेरिया और सियरा लियोन में इबोला के वायरस से रिकार्ड 61 लोगों की मौत हो गई. इनमें से गुएना में 12, लाइबेरिया में 28 और सियेरा लियोन में 21 लोगों की मौत हो चुकी है. वेस्ट अफ्रीका के देशों में इस बीमारी के चलते अफ्रीका विकास बैंक और वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि दोनों ही वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देश सियरा लियोन, लाइबेरिया और गुएना को तुरंत ही 260 मिलियन डॉलर की रकम देंगे. पहले वायरस की शुरूआत
अगर इस वायरस की उत्पत्ति के बारे में पता लगाते हैं तो यह नाइजीरिया में सबसे पहले मिला था. नाइजीरिया में अमेरिकी नागरिक पैट्रिक सॉयेर में सबसे पहले यह वायरस मिला था, जिसके बाद उनकी लाइबेरिया में मौत हो गई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक, इबोला वायरस के 163 नये मामले भी सामने आये हैं, जिनमें गुएना में 13, लाइबेरिया में 77 और सियेरा में 72 मामले हैं. इसके अलावा नाइजीरिया में भी इबोला के 3 नये मामले सामने आये हैं. WHO की महानिदेशक माग्रेट चान ने इबोला की महामारी से प्रभावित देशों से कहा है कि वे इस बीमारी के फैलाव को रोकने के लिये किये जा रहे प्रयासों में तेजी लायें. वायरस फैलने के कारण
इबोला वायरस संक्रमित जानवर विशेष तौर में बंदर, फ्रुट बेट (चमगादड़) और सुअरों के खून या शरीर के तरल पदार्थ से फैलता है. ये हवा के संपर्क में आने से नहीं फैलता है. ऐसा माना जाता है कि फ्रुट बेट बिना प्रभावित हुये भी इस वायरस को फैला सकता है. एक बार कोई इंसान इस वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो फिर ये बाकी लोगों में भी फैलने लगता है. इसके अलावा इससे संक्रमित इंसानों के मरने के बाद उनके शरीर को ठीक तरह से खत्म नहीं करने पर भी ये वायरस फैलने की संभावना रहती है.