बंद हो चुके 500-1000 रुपये के नोटों का यहां हो रहा है इस्तेमाल
बड़ी संख्या में लोगों ने नोट जला दिएजी हां नवंबर 2016 में देश में नोटबंदी का ऐलान हुआ था। इसके बाद 500-1000 रुपये के नोट बंद हो गए थे। इसके बाद से लोगों ने इन नोटों को बिल्कुल बेकार समझ लिया था। लोगों ने इसे जलाना शुरू कर दिया था, जबकि ऐसा नहीं है। आज भी ये नोट काम आ रहे हैं। तमिलनाडु की राजधानी चेन्न्नई की पुझाल केंद्रीय जेल में इनका इस्तेमाल अच्छे तरीके से हो रहा है। सरकारी विभागों में होता है इस्तेमाल
यहां पर स्टेशनरी में ये नोट एक खास भूमिका निभा रहे हैं। उम्रकैद की सजा पाए कैदियों से नवंबर 2016 में अवैध घोषित किए गए 500-1000 के नोटों की कतरन से स्टेशनरी का सामान बनवाया जा रहा है। इन रद्दी नोटों से स्टेशनरी में फाइल पैड व अन्य लेखन सामग्री तैयार हो रही है। खास बात तो यह है कि यह स्टेशनरी सरकारी विभागों में प्रयोग में लाई जा रही है।
500-1000 के नोटों की कतरन से सबसे पहले लुगदी बनवाई जाती फिर उसे डाई में डाल मोल्ड किया जाता है। इससे वह हार्ड पैड्स में तब्दील हो जाते हैं। फाइल पैड के निर्माण में आधी सामग्री गत्ते की होती है। इन हार्ड पैड के कोनों पर लाल रंग का कपड़ा और फिर कवर पर 'अर्जेट' और 'ऑर्डिनरी' जैसे टैग लगाए जाते हैं। सरकारी स्टेशनरी की यही पहचान होती है। रोज करीब एक हजार फाइल पैड बन रहेवहीं इस संबंध में तमिलनाडु के जेल विभाग के प्रभारी डीआईजी ए. मुरगसेन का कहना है कि रिजर्व बैंक ने उन्हें बेकार हुए नोटों की 70 टन कतरन का प्रस्ताव दिया है। अब तक 9 टन कतरन ली जा चुकी है। इसमें करीब डेढ़ टन प्रतिबंधित करेंसी से बड़ी संख्या में फाइल पैड बनवाए जा चुके हैं। नोटों की कतरन से पुझाल जेल में रोज करीब एक हजार फाइल पैड बन रहे हैं।
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