ऐसी जुगाड़ से प्रदूषण को मात दे रहे हैं ये 5 देश और हम यहां स्मॉग में ही घुटे जा रहे हैं!
पेरिस - जहां किया गया कारों पर नियंत्रण
फ्रांस की राजधानी और दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक पेरिस शहर में भी वाहनों का प्रदूषण अपने चरम पर रहा है। इस कारण सरकार ने शहर में हफ्ते के अंत में कारों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी।यहां पहले से ही ऑड इवन फार्मूला अपनाया जा चुका है। इसके अलावा जिन दिनों में वाहन प्रदूषण बढ़ने की ज्यादा संभावना होती है उन दिनों में सरकारी और सार्वजनिक वाहनों को पब्लिक के लिए फ्री कर दिया जाता है और खास तौर पर काफी संख्या में शेयरिंग वेहिकल चलाए जाते हैं। ताकि कम से कम वाहन सड़कों पर निकले और प्रदूषण कम हो। यही नहीं शहर के तमाम इलाकों में कारों की स्पीड लिमिट को 20 किमी प्रति घंटे पर सेट कर दिया गया है और इस पर निगरानी करने के लिए काफी संख्या में पुलिस बल लगाया गया। तब जाकर पेरिस शहर में प्रदूषण के स्तर पर काफी हद तक काबू पाया जा सका है।
दो देशों में तनाव की वजह बना 'कचरे का समंदर'
जर्मनी - सार्वजनिक परिवहन सिस्टम को बनाया बेहतर
जर्मनी के एक बड़े शहर फ्रीबर्ग में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था। उसे कम करने के लिए शहर और उसके आसपास सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को इतना बेहतर बनाने का प्रयास किया गया ताकि लोग कम से कम वाहन लेकर सड़कों पर उतरें। शहर में ट्राम के नेटवर्क को बहुत बढ़ाया गया और इसे ऐसा बनाया गया कि शहर के हर रूट से आने वाली बसें और अधिक से अधिक आबादी ट्राम सर्विस का उपयोग आसानी से कर सके। यह ट्रेन सर्विस काफी सस्ती है जिससे अधिक से अधिक लोग इसे इस्तेमाल करने के लिए मोटिवेट हुए। यही नहीं सरकार ने उन लोगों को सस्ते घर, फ्री सार्वजनिक वाहन सुविधा और साइकिलें दीं जो लोग कार नहीं रखते थे।
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ब्राजील - मौत की घाटी को बना दिया चमन
ब्राजील एक शहर है Cubatao। इस शहर को मौत की घाटी कहा जाता था। यहां पर प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि एसिड रेन के कारण सड़क पर चलने वाले लोगों के शरीर पर घाव और जलन हो जाती थी। सरकार ने शहर को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्त करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया और शहर में भारी संख्या में मौजूद औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों में ऐसे फिल्टर्स लगवाएं जिससे उन से निकलने वाले धुएं में प्रदूषण का स्तर 90% तक कम हो गया। यही नहीं शहर की हवा में प्रदूषण के स्तर को नापने के लिए एक बेहतरीन मॉनिटिरिंग सिस्टम भी लगवाया। सरकार और उद्योगों द्वारा इस काम पर काफी पैसा खर्च किया गया लेकिन उसकी कीमत लोगों की जिंदगी से ज्यादा तो नहीं थी। अब इस शहर को मौत की घाटी नहीं कहा जाता।
हमारी दिल्ली और भारत के कई बड़े महानगर ऐसी ही किसी मौत की घाटी में ना बदल जाएं, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों के साथ साथ आम लोगों को भी कुछ कठिन फैसले लेने होंगे ताकि हमारा भविष्य प्रदूषण और स्मॉग के शिकंजे में घुट कर दम ना तोड़ दे।