बचपन में ही मैंने तय कर लिया था कि मैं कभी भी मांसाहारी खाना नहीं खाऊँगा.


भारत और चीन किस तरफ़  अफ़्रीका में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं, इस पर जब अफ़्रीका जाकर रिपोर्टे करने की बात उठी तो सवाल उठा क्या अफ़्रीका की गलियों में शाकाहारी भोजन ढूँढ़ना सचमुच टेढ़ी खीर होगी?लोग कहते हैं कि दुनिया में मांसाहारियों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसलिए अफ़्रीका जाने की तैयारियों में शाकाहारी खाने का इंतज़ाम भारत से ही करने की मैने सोच रखी थी.परिवार वालों ने सलाह दी – दुकान में पैक किया गया खाना मिलता है, सिर्फ़ गर्म पानी में डाल दो और वो खाने लायक हो जाता है. जल्दबाज़ी में मटर-पनीर, उबला चावल, हैदराबादी शाकाहारी बिरयानी, लेमन राइस सभी के पैकट अटैची में पैक किए और अफ़्रीका की ओर रवाना हो गए.


कभी-कभी ऐसा लगता है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में शाकाहारी खाना मतलब कुछ पत्तों, कटी सब्ज़ियों को तल दो और चम्मच के साथ पेश कर दो. लो हो गया शाकाहारी खाना तैयार.परेशानी शुरूअफ्रीका के बाज़ारों में आपको भारतीय खाने का सामान कई जगहों पर मिल जाएगा

अपने होटल में फ़िलिप ने एक कर्मचारी से गुहार लगाई, प्लीज़ कुछ शाकाहारी बना दीजिए. महिला ने बड़े प्यार से मेरी उम्मीद भरी निगाहों से देखा और ऐसा कुछ इशारा किया कि जैसे कह रही हों कि वो कोशिश करेंगी.करीब 20 मिनट बाद बड़ी मेहनत करके वो कुछ सब्ज़ियों को पानी के घोल में पकाकर लाईं. उन्होंने मेहनत की थी इसलिए कुछ बोलते हुए भी नहीं बना. यही सोचा कि किस्मत अच्छी है कि कुछ शाकाहारी खाने को तो मिल गया.कीनिया में आखिरकार एक भारतीय कंपनी द्वारा चलाए जा रहे होटल में रहना नसीब हुआ. उम्मीद बंधी कि यहाँ तो कुछ भारतीय रोटी जैसा कुछ नसीब होगा. उम्मीद पूरी तरह गलत साबित नहीं हुई. चपाती और सब्ज़ी, काफी दिनों बाद कुछ भारतीय खाने जैसा कुछ नसीब हुआ था.ऊपर वाले को धन्यवाद बोला. बाकी बचे हुए दिन किसी तरह काटे. वापस भारत आने के बाद घर के स्वादिष्ट शाकाहारी खाने की अहमियत पता लगी. कभी-कभी सपना देखता हूँ कि दुनिया भर में शाकाहारी खाने के होटल की चेन खोलूँगा ताकि कि मेरे जैसे लोग इतने परेशान नहीं हों.

Posted By: Satyendra Kumar Singh