अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान के 4 किरदार जिनके दम पर काबुल से हुकूमत की तैयारी
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर : कराची से काबुल तकमुल्ला अब्दुल गनी बरादर वह नाम है जो आने वाले दिनों में हम बार-बार सुनेंगे। बरादर ने ही मुल्ला उमर के साथ मिलकर कांधार में तालिबान की नींव रखी थी। साल 1994 में आकार लेने वाला आतंकी संगठन 1996-2001 तक अफगानिस्तान की सत्ता पर तब तक काबिज रहा जब तक अमेरिकी व नेटो सेनाओं ने उसे उखाड़ नहीं फेंका। इसके बाद बरादर ने पाकिस्तान में शरण ली। यहां उनकी जिंदगी के चंद साल पाकिस्तान की जेल में भी गुजरे हैं। जब साल 2010 में कराची से गिरफ्तारी के बाद 2018 तक जेल में रहना पड़ा। साल 2020 में दोहा में अमेरिका फौजों की अफगानिस्तान से वापसी के समझौते पर तालिबान की ओर से दस्तखत बरादर ने ही किया था। अपने सैन्य अनुभव व राजनीतिक समझ के बूते यह किरदार आने वाले दिनों में अफगान राजनीति में अहम रहने वाला है।
हैबतुल्लाह अखुंदजादा : आतंक ही धर्म
साल 2016 में अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में मुल्ला मंसूर अख्तर की मौत के बाद हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने तालिबान की कमान संभाली थी। वह धार्मिक नेता अधिक मिलिट्री कमांडर कम हैं। तालिबान की कमान मिलने के बाद अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी ने अखुंदजादा की तारीफ में कशीदे पढ़े थे। हालांकि सार्वजनिक तौर पर उनकी भूमिका बेहद सीमित है।सिराजुद्दीन हक्कानी : आतंक का नेटवर्क20 फरवरी 2020 को अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स में तालिबान के डिप्यूटी लीडर सिराजुद्दीन हक्कानी का एक लेख प्रकाशित हुआ था। यह लेख तब लिखा गया था जब अमेरिका व तालिबान दोहा में समझौते की मेज पर आमने-सामने थे। इसमें हक्कानी ने अमेरिकी फौजों की अफगानिस्तान से वापसी के बाद उसकी जमीन का इस्तेमाल क्षेत्रीय व वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बनने की आशंका को दरकिनार करते हुए राजनीति से प्रेरित बताया गया था। हक्कानी तालिबान के शीर्ष नेताओं में से एक होने के अलावा हक्कानी नेटवर्क के भी प्रमुख हैं। इसे बेहद खतरनाक माना जाता है, अमेरिकी आतंकी संगठनों की सूची में शामिल इस नेटवर्क पर काबुल में प्रमुख अफगान अधिकारियों की हत्या व पश्चिमी नागरिकों के अपहरण का इल्जाम है।मुल्ला याकूब : मुल्ला उमर की विरासत तालिबान के चार अहम किरदारों में से एक मुल्ला मोहम्मद याकूब भी हैं। जो तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे हैं। याकूब न केवल सैन्य मामलों की जिम्मेदारी संभालते हैं बल्कि तालिबान की शीर्ष निर्णायक संस्था रहबरी शूरा का भी हिस्सा हैं।