डॉक्टर मोहम्मद नादेर अलेमी पिछले तीन दशक से अफ़ग़ानिस्तान में मनोचिकित्सक के रूप में काम कर रहे हैं.
दस साल से वह मज़ार-ए-शरीफ़ में 20 बिस्तरों वाला अस्पताल चला रहे हैं.उनके अस्पताल में महिलाओं और पुरुषों की लंबी लाइन लगी रहती है और यहां आने वाले ज़्यादातर लोग ग्रामीण इलाकों से ताल्लुक रखते हैं.तालिबान से डर नहींतो अस्पताल चलाने को लेकर उन्हें तालिबान से क्या कभी डर नहीं लगा?वह कहते हैं, "तालिबान के लिए डॉक्टर दुश्मन नहीं हैं. मैंने उनके शिविरों में भी काम किया. यहां तक कि तालिबान के परिजन भी मुझसे इलाज करवाने आते हैं."मरियम बताती हैं, "मेरे पति मुझे मारते रहते थे. मैं बहुत डिप्रेस्ड हो गई थी. मेरे पिता ने मेरा निकाह ऐसे व्यक्ति से कर दिया जिनका एक ही पैर था. मुझे वह बिल्कुल भी पसंद नहीं थे. यही वजह है कि मैं इस अस्पताल में हूं."वह बताती हैं कि और भी महिलाएं उनकी जैसी दिमागी बीमारी का शिकार हैं.
अफ़गानिस्तान युद्ध और ग़रीबी से जूझ रहा है और आंकड़े बताते हैं कि यहां की 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या किसी न किसी बीमारी से जूझ रही है.
नादेर अलेमी कहते हैं, "दुर्भाग्य से, अनिश्चितता यहां के युवाओं की सबसे बड़ी चिंता है. यही कारण है कि दिमागी तौर पर बीमार लोगों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है."
भूमिगत स्कूल भीडॉक्टर नादेर अलेमी अपनी पत्नी के साथ लड़कियों के लिए एक भूमिगत स्कूल भी चला रहे हैं.वह कहते हैं, "अभी-अभी कुछ लड़कियों ने 12वीं पास की है. गर्व होता है कि इनमें से अधिकतर ने पहली श्रेणी में परीक्षा पास की है."अफ़ग़ानिस्तान के हालात से नादेर अलेमी भी बेहद मायूस हैं.यह पूछने पर कि अगर अफ़ग़ानिस्तान उनका मरीज़ होता तो इसका इलाज कैसे करते? वह कहते हैं, "दुनियाभर के 150 से अधिक देश यहां इस काम में लगे हुए हैं. वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो मैं क्या कर लूंगा?"
Posted By: Satyendra Kumar Singh