उन्‍नाव-कठुआ में हुए सामूह‍िक दुष्‍कर्म के मामलों में अब दूसरे देशों से भी नाराजगी से स्‍वर गूंजने लगे हैं। हाल ही में इस मामले में दुनिया भर के 600 से अधिक शिक्षाविदों ने नाराजगी जताते हुए देश के प्रधानमंत्री के नाम खुला खत ल‍िखा है। इसमें पीएम मोदी पर इतने लंबे समय से इन मामलों में पर चुप्‍पी बनाए रखने के आरोप लगाए गए हैं। साथ ही कहा गया है क‍ि देश में इस समय हालात काफी गंभीर हैं। यहां जानें इस खुले खत के बारे में...


कड़े दंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी
नई दिल्ली (प्रेट्र)। उन्नाव-कठुआ मामलों से देश ही नहीं दुनिया के भर में लोग नाराज हैं। ऐसे में हाल ही में दुनिया भर के 600 से अधिक शिक्षाविदों और विद्वानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है। इसमें कठुआ और उन्नाव में हुए दुष्कर्म बलात्कार के मामलों पर उनसे चुप्पी तोड़ने के लिए कहा है। उनसे पूछा है कि जब देश में हालात इतने भयानक हैं तो वे चुप्पी क्यों साधे हैं। खास बात तो यह है कि यह खत ऐसे दिन आया है जब कठुआ, उन्नाव और सूरत में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या जैसे मामलों पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कड़े दंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी है। 21 अप्रैल को मंजूर हुए इस अध्यादेश में  12 वर्ष और उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामले में दोषी पाये जाने पर मृत्युदंड जैसे कई प्रावधान शामिल किए गए हैं। इन चर्चित मामलों पर आपने चुप्पी साध रखी है


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित शिक्षाविदों और विद्वानों द्वारा इस खुले खत में यह पूछा गया है कि हम कठुआ और उन्नाव के बाद की ऐसी घटनाओं पर अपने गुस्से और पीड़ा का इजहार करना चाहते हैं। हमने देखा है कि देश में हालात काफी गंभीर हैं। देश में सामने आ रहे इन मामलों में राज्य सरकारों के चेहरे भी साफ दिख रहे हैं। इसके अलावा इन मामलों में साक्ष्यों को देखते हुए भी आपकी पार्टी के प्रवक्ताओं की प्रतिक्रियाएं इन्हें मोड़ देने का काम कर रही हैं। इतना ही नहीं इन मामलों में सत्तारूढ़ों के हिंसा से जुड़ाव के निर्विवाद संबंधों पर भी आपने लंबी चुप्पी साध रखी है। इस पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, ब्राउन यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड और कोलंबिया और आईआईटी सहित दुनिया भर में विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों और विद्वान शामिल हैं।

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Posted By: Shweta Mishra