एयरफोर्स के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के पकड़े जाने से लेकर उनकी सही-सलामती वापसी तक सभी उनकी सलामती की दुआ करते रहे। लोगों ने अपने जांबाज जवान को वापस लाने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम भी छेड़ी। मगर क्या आपको पता है फाइटर पायलट बनने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। एक पायलट बनाने में सरकार कितनी रकम खर्च करती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की इस स्पेशल स्टोरी में जानिए कि एक पायलट बनता कैसे है। क्योंकि पायलट बनना कोई बच्चों का खेल नहीं। लोहे सा तपने के बाद ही विंग कमांडर अभिनंदन जैसा फाइटर पायलट बना जा सकता है।


abhishek.mishra@inext.co.inKANPUR : 15 करोड़ का खर्च इंडियन एयरफोर्स दुनिया की चौथी सबसे खतरनाक एयरफोर्स है। इसमें फाइटर पायलट बनना इतना आसान नहीं है। एक फाइटरतैयार करने में सरकार का करीब 15 करोड़ रुपए खर्च होता है। मगर, इसका सबसे अहम पड़ाव होता है, 'पायलट एप्टीट्यूड बैटरी टेस्ट' यानी पीएबीटी। इसे पास करने के बाद ही पायलट बना जा सकता है। इसके बाद आता है टफ ट्रेनिंग का नंबर। जिसमें कैंडीडेट को फिजिकली, मेंटली, साइकोलॉजिकली ग्रूम किया जाता है। ट्रेनिंग में एक्सरसाइज, योगा के साथ ही क्विक डिसीजन मेकिंग व लीडरशिप और टीम मैनेजमेंट क्वालिटी भी डेवलप की जाती है। लाइफ टाइम सिंगल चांस


'पीएबीटी' की इम्पॉर्टेंस आप इसी से समझ सकते हैं कि यह लाइफ में सिर्फ एक बार ही होता है। अगर आप इसमें नाकाम रहते हैं, तो इसमें दोबारा अपीयर नहीं हो सकते। अगर पीएबीटी क्लियर कर लेते हैं, तो इसका साइकोलॉजिकल और ग्रुप टेस्ट का कंबाइंड स्कोर व अससेमेंट यह तय करता है कि आप प्लेन उड़ाने के लिए सिलेक्ट किए गए हैं या नहीं। पीएबीटी पास कैंडीडेट्स को एयरफोर्स सेंट्रल मेडिकल स्टेबलिशमेंट, दिल्ली या इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन, बंगलुरू में मेडिकल टेस्ट देना होता है। जबकि असफल उम्मीदवारों का उनकी सेकेंड या थर्ड च्वाइस के लिए टेस्ट होता है।

बैटरी एंड एप्टीट्यूड टेस्ट एनडीए सीडीएस के थ्रू अगर आपको एयरफोर्स की फ्लाइंग ब्रांच के लिए सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड यानी एसएसबी का कॉल-अप लेटर आता है तो आपको वहां सबसे पहले पायलट एप्टीट्यूड बैटरी टेस्ट यानी पीएबीटी में अपीयर होना पड़ता है। इसमें दो पेपर 'पेंसिल टेस्टÓ और दो 'मशीन टेस्ट इंस्ट्रूमेंट, बैटरी टेस्ट, सेंसरी मोटर अपरेटस टेस्ट का होता है। इसके बाद कंट्रोल वेलॉसिटी टेस्ट होता है। इसका उद्देश्य होता है, उन्हीं कैंडीडेट्स का सेलेक्शन, जिनमें पायलट ट्रेनिंग लेने की सही योग्यता हो। दरअसल, एक पायलट में विमान के इंस्ट्रूमेंट पैनल के डायलों को पढऩे और समझने की क्षमता होनी चाहिए। फस्र्ट स्टेज: प्री-फ्लाइंग ट्रेनिंगहैदराबाद स्थित डुंडीगल एकेडमी में फ्लाइट कैडेट्स को ट्रेनिंग में एयरक्राफ्ट से जुड़ी बेसिक जानकारी दी जाती है और इसमें कैंडीडेट को 55 घंटे का फ्लाइट एक्सपीरियंस भी मिलता है। 06 महीने तक चलती है ये प्रक्रिया। इसे प्री-फ्लाइंग ट्रेनिंग कहा जाता है। इसके बाद स्टेज-1 में सिम्यूलेटर और ड्यूअल फ्लाइंग करवाई जाती है। सेकेंड स्टेज: इंटरमीडिएट ट्रेनिंगदूसरी ट्रेनिंग को 'इंटरमीडिएट ट्रेनिंग' भी कहा जाता है। ये फाइटर प्लेन पायलट बनने के लिए ट्रेनिंग का बहुत अहम हिस्सा होता

है। इसमें कैंडीडेट्स को एयरक्राफ्ट दिया जाता है। जिसमें उन्हें 80 घंटे प्लाइंग करने का मौका भी दिया जाता है। स्टेज-2 में किरन मार्क 1 औरकिरन मार्क 2 पर फाइटर ट्रेनिंग दी जाती है। वहां उन्हें उसकी परफेक्ट हैंडलिंग का ध्यान रखना होता है।थर्ड स्टेज: फाइटिंग टेक्निक्सट्रेनिंग की थर्ड स्टेज कुल 12 महीने तक चलती है। इसमें कैडेट्स को हॉक एयरक्राफ्ट के साथ कुल 145 घंटे की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें फाइटिंग टेक्निक्स सिखाई जाती है, जहां क्लोज फॉर्मेशन और नाइट फ्लाइंग नेक्स्ट स्टेज में सिखाए जाते हैं। ट्रेनिंग में कैडेट्स को जगुआर, मिग जैसेएयरक्राफ्ट की फ्लाइंग करवाई जाती है। तीनों स्टेजेज को सक्सेसफुली कम्प्लीट करने पर ही फ्लाइट कैडेट को पायलट का लाइसेंस मिलता है। 'फ्लाइट कैडेट' से'पायलट' तक का सफर एसएसबी में सेलेक्टेड कैंडीडेट्स को हैदराबाद स्थित डुंडीगल एयरफोर्स एकेडमी भेजा जाता है। उन्हें 'फ्लाइट कैडेटÓ की रैंक मिलती है। यहीं पर उन्हें फाइटर एयरक्राफ्ट को उड़ाने से लेकर उसे हर कंडीशन में हैंडल करने की ट्रेनिंग दी जाती है। एयरफोर्स से कमीशन सभी फाइटरपायलट डुंडीगुल एयरफोर्स अकादमी से पास आउट होते है। 'फ्लाइट कैडेट' से 'पायलट' तक का सफर
एसएसबी में सेलेक्टेड कैंडीडेट्स को हैदराबाद स्थित डुंडीगल एयरफोर्स एकेडमी भेजा जाता है। उन्हें 'फ्लाइट कैडेट' की रैंक मिलती है। यहीं पर उन्हें फाइटर एयरक्राफ्ट को उड़ाने से लेकर उसे हर कंडीशन में हैंडल करने की ट्रेनिंग दी जाती है। एयरफोर्स से कमीशन सभी फाइटर पायलट डुंडीगुल एयरफोर्स अकादमी से पास आउट होते है। सेलेक्शन प्रॉसेस भी समझ लीजिएएयरफोर्स में पायलट का सेलेक्शन प्रॉसेस बहुत लंबा होता है। शुरुआत एंट्रेंस एग्जाम क्वालीफाई करने से होती है।  कैंडीडेट की सिटीजनशिप इंडियन होनी चाहिए।* फिजिक्स, मैथ्स से 12वीं पास होना जरूरी है।* 12 वीं में 60 परसेंट माक्र्स जरूरी हैं।* हाईट कम से कम 5 फीट 5 इंच होनी चाहिए।* हिंदी के साथ ही इंग्लिश की नॉलेज होना भी जरूरी है।* आंखों का विजन 6-6 होना चाहिए।* मेंटली, फिजिकली फिट होना चाहिए।* सीडीएसई, एनसीसी स्पेश एंट्री और एएफसीएटी कैंडीडेट का ग्रेजुएट होना जरूरी।* सीडीएस के लिए इंजीनियरिंग डिग्री होल्डर्स भी कर सकते अप्लाई।क्या होती है एज लिमिट?एनडीए एग्जाम के लिए 19 साल तक किया जा सकता है अप्लाई। सीडीएसईए एनसीसी स्पेशल एंट्री और एएफसीएटी के लिए 20-24 साल की एज लिमिट।*मार्शल ऑफ द एयरफोर्स*एयर चीफ मार्शल*एयर मार्शल*एयर वाइस मार्शल*एयर कमोडोर*ग्रुप कैप्टन*विंग कमांडर
*स्क्वॉड्रन लीडर*फ्लाइट लेफ्टिनेंट*फ्लाइंग ऑफिसर(फ्लाइंग ऑफिसर से रैंक कीशुरुआत होती है। सबसे टॉप रैंकमार्शल ऑफ द एयरफोर्स होती है।)

 

Posted By: Shweta Mishra