अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव की मतगणना जारी है. शुरूआती रुझानों के मुताबिक़ पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला अब्दुल्ला अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अशरफ़ गनी से आगे चल रहे हैं.


देश के 26 प्रांतों में अबतक क़रीब पाँच लाख मतों की गणना हो चुकी हैं, अब्दुल्ला अब्दुल्ला को इनमें से 41.9 फ़ीसदी और अशरफ़ गनी को 37.6 फ़ीसदी वोट मिले हैं.पाँच अप्रैल को हुए मतदान में अफ़ग़ानिस्तान के 34 प्रांतों में क़रीब 70 लाख मतदाताओं ने अपने  मताधिकार का प्रयोग किया था.मतदान का दूसरा दौरप्राथमिक नतीज़े 24 अप्रैल को घोषित होने हैं. अगर किसी भी प्रत्याशी को जीत के लिए ज़रूरी मत नहीं मिले तो मई में दूसरे दौर का मतदान कराया जाएगा.चुनाव आयोग का कहना है कि मतगणना के आगे बढ़ने के साथ ही आगे चल रहे लोगों के नाम बदल भी सकते हैं."हो सकता है कि एक उम्मीदवार, जो आज मज़बूत नज़र आ रहा है. कल उसे कोई दूसरा उसे उसकी जगह से हटा दे"-अहमद युसूफ़ नूरीस्तानी, अफ़ग़ानिस्तान चुनाव आयोग के प्रमुख


चुनाव आयोग के अध्यक्ष अहमद युसूफ़ नूरीस्तानी ने कहा, '' हो सकता है कि एक उम्मीदवार, जो आज मज़बूत नज़र आ रहा है. कल उसे कोई दूसरा उसे उसकी जगह से हटा दे.''

क़ाबुल में मौज़ूद बीबीसी संवाददाता डेविड लोयन का कहना है कि चुनाव परिणाम रोज़ उभर कर सामने आएंगे. कुछ मतपेटियां अभी भी क़ाबुल लाई जानी बाकी हैं, जिन्हें दूर-दराज़ के इलाक़ों से गदहों पर लादकर लाया जा रहा है.संवाददाताओं का कहना है कि  चुनाव के बाद से अब्दुल्ला अब्दुल्ला की टीम उत्साह से भरी हुई नज़र आ रही है.शुरूआती रूझानों में एक और  दावेदार का उभर रहे हैं, वो हैं पूर्व विदेश मंत्री ज़लमई रसूल, उन्हें अबतक 9.8 फ़ीसदी वोट मिले हैं. उन्हें राष्ट्रपति करजई का पसंदीदा उत्तराधिकारी माना जा रहा है.चुनाव में होने वाली धोखाधड़ी एक प्रमुख चिंता का विषय हैं. लेकिन इस तरह की शिकायतों से निपटने वाले संगठन ने कहा है कि इन पर फ़ैसला करने में हफ़्तों लगेंगे.चुनाव में धोखाधड़ीकरजई 2009 में जब दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए थे तो बड़े पैमाने पर चुनाव में धांधली के आरोप लगाए गए थे. उस चुनाव में अब्दुल्ला अब्दुल्ला दूसरे नंबर पर रहे थे.चुनाव शिकायत आयोग ने कहा है कि इस बार चुनाव में धोखाधड़ी की कम शिकायतें सामने आई हैं.इस आयोग के प्रवक्ता नादर मोहसेनी ने कहा, '' हमें सबूतों के साथ 1892 शिकायतें मिली हैं, इनमें से 1382 शिकायतें टेलीफ़ोन के जरिए मिली हैं.''उन्होंने बताया कि इनमें से 870 को अति गंभीर की श्रेणी में रखा गया है.

इस बात की भी आशंका जताई जा रही थी कि चुनाव में तालेबान बाधा डाल सकते हैं. लेकिन धमकियों और चुनाव के दिन तक हुए कुछ बड़े  हमलों के बाद भी लाखों लोगों ने मतदान में भाग लिया.इस चुनाव के साथ ही देश में पहली बार लोकतांत्रिक तरीक़े से सत्ता का हस्तांतरण होगा.अगले राष्ट्रपति को तालेबान की बढ़ती हिंसा और इस साल विदेशी सुरक्षा बलों की देश से वापसी को अफ़गानिस्तान के अनुकूल बनाने के साथ-साथ कई मुद्दों से जूझना पड़ेगा.

Posted By: Satyendra Kumar Singh