आमिर के ख़िलाफ़ 'ऐप वापसी' अभियान
आमिर के बयान के बाद सोशल मीडिया और सड़कों पर उनका विरोध करने के बाद आमिर के बहिष्कार का एक नायाब तरीक़ा यह भी निकाला गया की 'स्नैपडील' की ऐप को लोगों ने अपने फ़ोन से डिलीट करना शुरू कर दिया।सोशल मीडिया पर 'ऐप वापसी' के नाम से चलाई गई इस मुहिम से परेशान होकर स्नैपडील को आधिकारिक तौर पर आमिर के बयान से ख़ुद को अलग करना पड़ा।
इस मामले पर कई विशेषज्ञ अपनी राय दे चुके हैं और बीबीसी से बात करते हुए ऐड गुरू पीयूष पांडे कहते हैं, "इस तरह के विवाद पहले भी होते रहे हैं लेकिन आज सोशल मीडिया के होने से लोग ऐसे विवादों को ज़्यादा हवा दे देते हैं।"
वे आगे कहते हैं, "किसी सेलेब्रिटी के पास इतना समय नहीं होता की वह प्रयोगशाला में जा कर उस पदार्थ की जांच में ध्यान दे, यह काम उस पदार्थ को बनाने वाली कंपनी का होता है।"
भारत अमरीकी गोल्फ़र टाईगर वुड्स का उदाहरण देते हुए कहते हैं, "जब टाईगर अपनी निजी ज़िंदगी में चरित्रहीनता के गंभीर विवाद में फंसे थे तब उनसे जुड़ी कई कंपंनियों ने अपनी नैतिक ज़िम्मेवारी समझते हुए उनसे किनारा कर लिया था।"भरत मानते हैं कि अगर किसी अभिनेता पर क़ानूनी कारर्वाही चल रही हो तो उससे क़रार ख़त्म करना उचित है लेकिन किसी निजी कारणों से अगर वह कलाकार विवादों में है तो कंपनी का उनके ख़िलाफ़ क़दम उठाना ठीक नहीं।आमिर के विचार उनके निजी विचार हैं और इससे उनके द्वारा प्रचार की गई किसी भी वस्तु का कोई लेना देना नहीं है वर्ना बॉलीवुड में तो ज़मानत पर छूटे सुपरस्टार भी तूफ़ानी प्रोडक्ट बेच रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ कोई कुछ नहीं कहता।