हर साल नेपाल में हिमालय की तलहटी में मकर सक्रांति के दिन सांड की लड़ाई का उत्सव मनाया जाता है.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार मकर सक्रांति को शीत ऋतु का अंत माना जाता है.तारुका गांव में आयोजित हुए इस उत्सव को देखने बीबीसी नेपाली के संजय ढकाल पहुंचे.सांडों को भरपूर मात्रा में चावल, काली दाल और छोले खिलाकर इस परंपरागत लड़ाई के लिए तैयार किया जाता है.बिष्णु श्रेष्ठ का कहना है कि वे अपने सांड (जिसका नाम 'सुपारी' है) की देखभाल वैसे ही करते हैं जैसे वे अपने माता-पिता का करते हैं.श्रेष्ठ अपने सांड को थपथपाते हुए गर्व से कहते हैं कि वह उनको कभी निराश नहीं करता.तारुका ऊंचाई पर स्थित नेपाल का एक ठेठ पहाड़ी गांव है. गांववाले लड़ने वाले सांडों को नहीं पालते हैं. वे लड़ाई में खेती में काम आने वाले बैल का इस्तेमाल करते हैं.
दर्शकों को सिर्फ रस्सी के घेरे के सहारे लड़ाई के मैदान से दूर रखा जाता है. अगर सांड उनकी ओर दौड़े तो उनके पास दौड़ कर जान बचाने के अलावा कोई चारा नहीं है.लोग इस सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन स्थल तक पैदल तीखी चढ़ाई को पार कर आते हैं.
गांववाले इस अवसर का इस्तेमाल रास्ते के किनारे सब्जी और फल की दुकान लगाकर पैसा कमाने में करते हैं.
Posted By: Satyendra Kumar Singh