कहते हैं न कि जिस इंसान में लगन हो तो वो कोई भी काम आसानी से पूरा कर सकता है। ऐसा ही है एक टीचर जिसके स्‍कूल में एक भी कंप्यूटर नहीं है फिर भी उसने क्‍लास में बच्‍चों को microsoft word सिखा दिया। जब यह टीचर अपने खास अंदाज में microsoft word पढ़ा रहा था तो किसी ने उसकी तस्‍वीर ले ली। यह फोटो जैसे ही सोशल मीडिया वायरल हुई। भारत समेत दुनिया की तमाम संस्‍थाओं ने उस टीचर और स्‍कूल के बच्‍चों के लिए तमाम कंप्‍यूटर्स की चुटकियों में व्‍यवस्‍था कर दी। वाकई इस टीचर की लगन ने बच्‍चों का फायदा करा दिया।

ब्लैकबोर्ड पर कलर्ड चॉक से पढ़ा दिया Microsoft word

पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना के एक छोटे से टाउन स्केडोमास के एक स्कूल में पढ़ाने वाले एक टीचर 'अकोतो' अपने स्कूल के बच्चों को कंप्यूटर पढ़ाने के लिए इतने डेडीकेटेड हैं, कि उन्होंने स्कूल में एक भी कंप्यूटर न होने के बाद भी ब्लैकबोर्ड पर ही बच्चों को microsoft word पढ़ाना शुरु कर दिया। उनका पढ़ाने का तरीका भी बहुत जानदार है। 33 साल के अकोतो ने बकायदा कलर्ड चॉक से ब्लैकबोर्ड पर माइक्रोसॉफ्ट वर्ड का पूरा इंटरफेस बनाकर बच्चों को सॉफ्टवेयर पढ़ाना शुरु कर दिया। ऐसे ही एक दिन वो क्लास में microsoft word पढ़ा रहे थे, तभी किसी ने उनकी फोटो लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी। फिर क्या था, इस टीचर की लगन और कंप्यूटर पढ़ाने की ऐसी कलाकारी देखकर दुनिया भर की तमाम संस्थाएं अकोतो और उनके स्कूल की मदद के लिए आगे चली आईं।

 


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माइक्रोसॉफ्ट-अफ्रीका समेत NIIT मैनेजमेंट ने मदद के लिए बढ़ाए हाथ

फेसबुक पर अब लोगों ने घाना के इस टीचर की लगन और पढ़ाने की नई कला को देखा, तो उससे खुश होकर माइक्रोसॉफ्ट अफ्रीका ने अकोतो को सिंगापुर के Education Exchange में खासतौर पर इन्वाइट किया है। यहीं भारत के एक NIIT इंस्टीट्यूट सेंटर ने अपनी तरफ से अकोतो की इस लगन के लिए उनके स्कूल को 5 डेस्कटॉप कंप्यूटर, कुछ किताबों के साथ साथ इस टीचर के लिए एक लैपटॉप कंप्यूटर भेजने को फैसला किया है।

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इस मोटिवेशनल कहानी के हीरो टीचर अकोतो ने सपने में भी शायद नहीं सोचा था कि एक छोटे से स्कूल में बिना कंप्यूटर के microsoft word पढ़ाने के कारण उन्हें ऐसी प्रसिद्धि मिलेगी कि उन्हें माइक्रोसॉफ्ट विदेश में पढ़ाने के लिए बुलाएगा। अकोतो का कहना है... उन्हें इस बात की खुशी है कि उनके इस प्रयास के कारण उनके स्कूल के बच्चों को नए कंप्यूटर्स मिल रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि अब उनके स्कूल के बच्चे सच में कंप्यूटर एक्सपर्ट बन जाएंगे और ऐसा ही वो चाहते भी हैं।


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Posted By: Chandramohan Mishra